आरयू ब्यूरो, लखनऊ। तथाकथित ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को रोकने के लिए योगी सरकार ने मंगलवार को विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश के तहत विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम दस वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
योगी सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020‘ को मंजूरी दे दी गई।
साथ ही सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि इस अध्यादेश के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डालकर विवाह या किसी कपट रीति से एक धर्म से दूसरे धर्म में लाने के लिए किया जा रहा हो।
उन्होंने बताया कि इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है।
इससे पहले लव जिहाद के विरुद्ध कड़े कानून की आवश्यकता पर जोर देते हुए कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा था कि राज्य में ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है, जो सामाजिक शर्मिंदगी और दुश्मनी का कारण बने हैं। इन मामलों से माहौल खराब हो रहा है, इसलिए एक सख्त कानून समय की जरूरत है।
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वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोई धर्मांतरण छल, कपट, जबरन या विवाह के जरिए नहीं किया गया है, इसके सबूत देने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले तथा करने वाले व्यक्ति पर होगी।
अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद व 15000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से दस वर्ष तक की कैद और 25000 रुपये जुर्माने की होगी।
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इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम दस साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान रखा गया है। अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रोफार्मा पर दो महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह महीने से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है।