एक साल से ज्‍यादा LDA की कोर्ट में लटके अवैध निर्माण के डेढ़ हजार मामले, बैठक में खुलासा होने पर उपाध्‍यक्ष नाराज, अभियान चला दो महीने में निस्‍तारण का दिया निर्देश

एलडीए की कोर्ट
एलडीए के अफसरों के साथ बैठक करते उपाध्यक्ष।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। अवैध निर्माण के मामलों का निस्‍तारण करने में एलडीए के विहित प्राधिकारी कितने संजीदा है, इसका खुलासा आज एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की समीक्षा बैठक में हुआ है। एलडीए की कोर्ट में अकेले डेढ़ हजार ऐसे मामले हैं, जो साल भर से ज्‍यादा समय से तारीख पर तारीख वाले खेल में उलझकर लटके हैं। मात्र 2018 से अब तक कुल 4624 वाद सात जोनों वाली एलडीए की कोर्ट में दर्ज किए गए थे, जिनमें से अब भी 3061 वाद  प्रचलित हैं।

अवैध निर्माण पर लगाम के लिए तैनात किए गए जोनल अफसरों की बैठक में आज इस तरह की स्थिति सामने आने पर एलडीए उपाध्‍यक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए उन्‍हें कार्यप्रणाली में सुधार लाने को कहा है। साथ ही वीसी ने निर्देश देते हुए कहा कि अभियान चलाकर इन लंबित मामलों को दो महीने के अंदर निस्‍तारित करें, हालांकि वीसी के आदेशों का कितना असर होता है इसका सही से पता तो दो महीने बाद ही लग पाएगा।

जोनल अफसरों ने बताई कोर्ट की कमी

वहीं अवैध निर्माण के मामलों के लंबित होने की वजह के बारे में तर्क देते हुए जोनल अफसरों ने कोर्ट की कमी बताते हुए कहा कि मुकदमों की सुनवाई के लिए एलडीए के लालबाग कार्यालय में दो ही कोर्ट हैं, जहां विहित प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित दिनों पर ही सुनवाई की जाती है।

सुनवाई के लिए तैयार होगी दो और कोर्ट

जोनल अफसरों द्वारा अवैध निर्माण पर कार्रवाई में कोर्ट की कमी को रोड़ा बताने पर वीसी ने आज ही एलडीए के लालबाग कोर्ट में दो और कोर्ट बनवाने की बात कही। साथ ही इंद्रमणि त्रिपाठी ने अधिशासी अभियंता अनुरक्षण ओपी मिश्रा को निर्देशित किया कि लालबाग स्थित कार्यालय के हॉल में एक सप्ताह के अंदर दो कोर्ट और तैयार कर ली जाएं, जिससे कि मुकदमों की सुनवाई तेजी से हो सके।

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वहीं बैठक में सामने आया कि जोन एक में सबसे ज्‍यादा मामले लंबित हैं। जिसपर उन्‍होंने संबंधित जोनल अफसर को निर्देश देते हुए कहा कि रोज कोर्ट लगाई जाए। साथ ही अन्‍य छह जोनों की हफ्ते में तीन-तीन दिन कोर्ट लगेगी।

कितने आदेशों का पालन, ले आएं फोटो-वीडियो

समीक्षा बैठक में जोनल अफसरों ने वीसी को बताया कि साल 2018 से अब तक सीलिंग के 750 आदेश जारी किये गए हैं। इस पर उपाध्यक्ष ने पूछा कि इनमें से कितने मामलों में आदेशों का अनुपालन हुआ है और उसमें भी कितने प्रकरण एक महीने से अधिक पुराने हैं। उन्होंने अधिकारियों को इसकी सूची बनाकर मय स्थल की फोटो और वीडियो के साथ अगली बैठक में प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।

बैठक में यह भी संज्ञान में आया कि ध्वस्तीकरण के लगभग 1300 आदेश हुए हैं। इस पर उपाध्यक्ष ने अपील में गये प्रकरणों को छोड़कर अन्य सभी मामलों की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इस क्रम में जोनल अधिकारियों को अब यह बताना होगा कि ध्वस्तीकरण के कितने आदेशों पर क्रियान्वयन हुआ है।

अवैध कब्जों के खिलाफ तेज करें अभियान

उपाध्यक्ष ने निर्देशित किया कि प्राधिकरण की भूमि पर हर प्रकार के अवैध कब्जे/अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर तेजी से कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से व्यवसायिक निर्माण करते हुए फुटपाथ व सड़क पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है, ऐसे मामलों में बिना देर किए कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाए।

जिन मामलों में नहीं हो सकता शमन, उन्‍हें करें कैंसिल,…

इस दौरान इंद्रमणि त्रिपाठी ने शमन सेल में मामलों को लटकाने के खेल पर भी प्रहार किया। उन्‍होंने शमन सेल में तैनात इंजीनियरों को साफ तौर निर्देश देते हुए कहा कि जिस अवैध निर्माण में शमन की कार्रवाई नहीं हो सकती उनकी लिस्‍ट बनाकर तत्‍काल उन्‍हें कैंसिल कर दें। इसके अलावा शमन के जो मामले शमनीय हैं, उन्‍हें 15 दिन के अंदर निस्‍तारित करें।

बैठक में अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार वर्मा, नजूल अफसर अरविंद कुमार त्रिपाठी, ओएसडी अरुण कुमार सिंह, अमित राठौर, राजीव कुमार, राम शंकर, डीके सिंह व शमन सेल के प्रभारी अवनींद्र कुमार सिंह मौजूद रहें।