अभियंताओं की कमी के बावजूद महीनों से इंजीनियरों को बैठाकर जनता के मेहनत की कमाई खिला रहा LDA

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आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। शासनादेशों के खिलाफ जाकर इंजीनियरों की तैनाती करने को लेकर चर्चा में रहने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। लंबे समय से इंजीनियरों की कमी का रोना रोने वाले एलडीए में आधा दर्जन से ज्‍यादा अभियंताओं को बैठाकर जनता की गाढ़ी मेहनत की कमाई खिलाने यानी सैलरी देने की बात सामने आयी है।

तबादले के बाद विभिन्‍न जिलों के प्राधिकरणों से एलडीए पहुंचे इन इंजीनियरों को हफ्ते-दस दिन नहीं, बल्कि एक से तीन महीने बाद भी एलडीए के किसी भी जोन में तैनाती नहीं दी गयी है। हालात यह है कि आलाधिकारियों की लापरवाही के चलते एक एई व आधा दर्जन अवर अभियंता चीफ इंजीनियर कार्यालय से संबंद्ध होने का कोरम पूरा करने के बाद अपने अधिकारियों के सामने सिर्फ मुंह दिखाई की रस्‍म निभाने के बाद हर महीने एलडीए से लाखों रुपये वेतन ले रहें हैं, जबकि एक अधिशासी अभियंता तो रिटायर होकर काम के इंतजार में अपने घर तक पहुंच गए।

तैनाती के इंतजार में हैं ये इंजीनियर

फैजाबाद प्राधिकरण से तबादला होने के बाद एई विरेंद्र प्रताप मिश्रा ने एक सिंतबर, जबकि कानपुर प्राधिकरण से आए जेई नवीन शर्मा ने 18 सितंबर को एलडीए में अपनी ज्‍वाइनिंग दी, करीब तीन महीना बीतने के बाद भी आज तक चीफ कार्यालय से संबंद्धता से आगे इनका मामला नहीं बढ़ सका।

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इसी तरह कानपुर प्राधिकरण से 16 अक्‍टूबर को आने वाले जेई राकेश कुमार गुप्‍ता, 23 अक्‍टूबर को फैजाबाद से एलडीए में ज्‍वाइनिंग देने वाले प्रमोद कुमार पांडेय भी आज तक चीफ कार्यालय तक ही सीमित हैं।

इसके अलावा हाल के दिनों में गैर जनपद से एलडीए आए जेई हसन रजा, राजीव कुमार मिश्रा व सुनील कुमार दीक्षित का नाम भी तैनाती की वेटिंग लिस्‍ट में चल रहा है।

एक्‍सईएन आए, काम नहीं मिला रिटायर होकर चले गए

जेई व एई के अलावा ट्रांसफर के बाद सितंबर में एलडीए पहुंचे अधिशासी अभियंता संतोष त्रिपाठी को भी एलडीए में कही काम नहीं मिला। अपने ही कार्यालय का एक महीने से ज्‍यादा तक समय चक्‍कर काटने के बाद एक्‍सईएन रिटायर होकर घर चले गए।

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इंजीनियरों की पोस्टिंग में इस तरह की लापरवाही देखते हुए सवाल उठ रहा है कि आखिर एलडीए के जिम्‍मेदार अफसर इतने कहां व्‍यस्‍त है कि प्रवर्तन के जोन दो, तीन, पांच, छह व सात अलावा अभियंत्रण के भी कई जोन में अभियंताओं की भारी कमी होने के बाद भी उन्‍हें गैर जनपद से आए इंजीनियरों की तैनाती करने का भी अब तक समय नहीं मिला। मामला खुलने के बाद एलडीए के जिम्‍मेदार अधिकारी जहां जवाब देने से भाग रहें हैं। वहीं अ‍फसरों की कार्यप्रणाली भी एलडीए में चर्चा का विषय बनी है।

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बताते चलें कि एलडीए में इंजीनियरों की पोस्टिंग को लेकर अनियमितता का यह पहला मामला उजागर नहीं हुआ है। इससे पहले भी एलडीए उपाध्‍यक्ष व चीफ इंजीनियर के आदेश को ठेंगे पर रखते हुए जोन एक में तैनाती होने के बावजूद करीब दस महीने तक जेई इम्‍तेयाज अहमद के जोन दो प्रवर्तन व इसी तरह अवर अभियंता विनोद शंकर सिंह के जोन तीन में तैनाती के उलट जोन दो के ट्रांस्‍पोर्ट नगर जैसे महत्‍वपूर्ण क्षेत्र के अवैध निर्माण नजर रखी जा रही थी।

इसका खुलासा होने के बाद चीफ इंजीनियर ने कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन बाद में इसे भी ठंडे बस्‍ते में डाल दिया गया। सूत्र तो यहां तक बताते है कि दोनों अवर अभियंताओं की कुछ विशेष योग्‍यता को देखते हुए एलडीए के ही एक जोनल अफसर एलडीए उपाध्‍यक्ष को गुमराह कर अवर अभियंताओं की अवैध पोस्टिंग को उन्‍हीं कलम से वैध कराने की जुगत में लगे हैं, हालांकि जिन अवर अभियंताओं पर अपने अफसरों का आदेश नहीं मानने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए उन्‍हें ही मनचाही पोस्टिंग दिलाने में जोनल अफसर कितना सफल होंगे यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा।

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