मल्‍टीस्‍टोरी बिल्डिंग की शटरिंग टूटने से छह मंजिल से गिरकर दो मजदूरों की मौत

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आरयू रिर्पोटर

लखनऊ। चक गंजरिया में पार्थ आर्क की निर्माणधीन बिल्‍डिंग की शटरिंग टूटने से दो मजदूरों की छह म‍ंजिल से गिरकर मौत हो गई। पोस्‍टमार्ट हाउस पहुंचे मजदूर के साथियों ने आरोप लगाया कि कई बार कहने के बाद भी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी वालों ने नीचे जाल नहीं बंधवाया था। उनकी लापरवाही के चलते दो लोगों की जान चली गई।

बताया जाता हैं कि जनपद फतेहपुर के हरगांव निवासी गुलाब सिंह,(34) व नीरज,(30) चक गंजरिया में इन्‍टरनेशनल स्‍टेडियम के पास पार्थ आर्क की निर्माणाधीन मल्‍टीस्‍टोरी बिल्डिंग में मजदूरी कर रहे थे। सोमवार की शाम दोनों छठी मंजिल पर कॉलम बांध रहे थे। तभी शटरिंग की प्‍लाई टूट जाने के चलते दोनों नीचे आ गिरे। घटना के बाद साथ काम कर रहे मजदूरों ने आनन-फानन में गंभीर रूप से घायलों को लोहिया अस्‍पताल पहुंचाया। जहां डाक्‍टरों ने जांच के बाद नीरज को मृत घोषित करने के साथ ही गुलाब को ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया। ट्रामा कुछ देर बाद ही गुलाब की भी मौत हो गई। घटना से मृतकों के परिजनों में कोहराम मचा हैं। दूसरी ओर मजूदरों में कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी के प्रति रोष व्‍याप्‍त था। एसओ गोसाईगंज संजीवकांत मिश्रा ने बताया कि इस बारे में मृतक के परिजनों की ओर से कोई तहरीर नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जनवरी में होनी हैं गुलाब के बेटी की शादी

गुलाब मजदूरी कर पत्‍नी बिटाना दो बेटी अंजू, सुगमा और बेटे विकास का पेट पालता था। इसके साथ ही उसकी बेटी का विवाह भी जनवरी में होना हैं। गुलाब की मौत के बाद लोगों को यही फिक्र सताए जा रही थी कि अब बेटी की शादी कैसे होगी।

लापरवाही से चली गई दो घरों की खुशियां, कार्रवाई करने वाला कोई नहीं

राजधानी में वैध के साथ ही अवैध मल्‍टीस्‍टोरी का धंधा जोरो पर चल रहा है। बिल्‍डर की लापरवाही आए दिन गरीब मजदूरों की जान ले रही है, लेकिन उन पर कार्रवाई कोई नहीं कर रहा है। पुलिस तहरीर का इंतजार करती हैं, तो एलडीए के प्रवर्तन दल के अधिकारी एके सिंह सिर्फ नक्‍शे तक अपनी जिम्‍मेदारी सीमित मानते है। जबकि जानकारों का कहना हैं कि भवन निर्माण के समय सेफ्टी नियमों का पालन कराना एलडीए के अधिकार क्षेत्र में आता है। बता दे कि इससे पहले भी कई निर्माणाधीन भवनों से गिरकर मजदूरों ने अपनी जान गंवाई हैं, लेकिन घूसखोरी के चलते बच जाने वाली कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनियां मौके के हिसाब से गरीबों की जान की कीमत लगाकर बच निकलती हैं।