आरयू वेब टीम। तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना पर लगाम नहीं लग सकी है। वहीं इसको लेकर लोगों की बढ़ती लापरवाही पर गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को सख्ती दिखाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है। जिसमें कोर्ट ने कहा राज्यों से कहा कि बिना मास्क पहने बाहर घूमने और सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी सम्बंधी नियमों का पालन नहीं करने वालों को कोरोना रोगियों की देखभाल के लिए बने कोविड केंद्रो में सामुदायिक सेवा के लिए लगाया जाए।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश दिए। अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों को ऐसे केंद्रो पर पांच से पंद्रह दिनों तक रोज चार से छह घंटे तक सफाई, खाना बनाने, डाटा और अन्य रेकर्ड आदि में मदद जैसे गैर मेडिकल सेवा के कार्य में लगाना चाहिए। ऐसा करते समय उम्र, लिंग आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
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साथ ही अदालत ने कहा कि ये सजा उस आर्थिक दंड के अतिरिक्त होगी, जो इसके लिए पहले से तय हैं। अदालत ने राज्य सरकार से अपने निर्देश के अनुपालन के मामले में एक रिपोर्ट 24 दिसंबर तक जमा करने के आदेश भी दिए हैं। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा अनिवार्य रूप से होना चाहिए और राज्य सरकार इसके लिए जल्द से जल्द आदेश भी जारी करे, ताकि मास्क न पहनने वालों के लिए इसे अनिवार्य रूप से लागू कराया जाए।
बता दें कि कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थान पर मास्क नहीं पहनने पर दंड की राशि बढ़ा कर एक हजार रुपए कर दी है। गुजरात हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद ऐसे लोगों के लिए मुश्किल होगी जो मास्क नहीं लगाते हैं और इसे बेकार समझते हैं। पकड़े जाने पर उन्हें कोरोना मरीजों के बीच भेजा जा सकता है।
गौरतलब है कि गुजरात भी कोरोना वायरस की दूसरी-तीसरी लहर से जूझ रहा है। अहमदाबाद में हालात ये हैं कि शहर में रात का कर्फ्यू लगा दिया गया है। गुजरात में अब तक दो लाख से अधिक कोरोना मामले मने आ चुके हैं। करीब चार हजार लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। गुजरात उन राज्यों में है जो कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित हैं।