आरयू ब्यूरो, लखनऊ। हसनगंज क्षेत्र स्थित गौतम बुद्ध पार्क का नाम मनमाने तरीके से बदलने का फैसला लखनऊ विकास प्राधिकरण ने पूरी तरह वापस ले लिया है। अब गौतम बुद्ध पार्क के नाम से ही प्रवेश टिकट भी कटना शुरू हो गया है। एलडीए की ओर से दिए गए काल्पनिक नाम ‘हैप्पीनेस पार्क’ की जगह रविवार को गौतम बुद्ध पार्क के नाम से लोगों को प्रवेश टिकट बेचा गया। हालांकि इसके लिए लोगों को पहले की अपेक्षा दस गुनी कीमत यानि सौ रुपए चुकाने पड़ रहे थे।
बताते चलें कि इंजीनियरों ने एलडीए के एक पूर्व अफसर की शह पर बिना योगी सरकार की कैबिनेट बैठक के मंजूरी के ही गौतम बुद्ध पार्क का नाम बदलते हुए पार्क प्राइवेट कंपनी के हवाले कर दिया था। एलडीए के इस फैसले से बौद्ध अनुयायियों में रोष था। अनुयायियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करने के साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से भी एलडीए अफसरों की मनमानी की शिकायत की थीं। जिसपर उप मुख्यमंत्री ने एलडीए अध्यक्ष रोशन जैकब को पत्र लिख कार्रवाई के निर्देश दिए थें।
मामला संज्ञान में आने पर ‘राजधानी अपडेट’ ने इसकी पड़ताल शुरू की तो पार्क से जुड़े अभियंताओं ने आनन-फानन में हैप्पीनेस पार्क का बोर्ड हटवाते हुए इंट्री गेट पर फिर से गौतम बुद्ध के नाम से बोर्ड लगवा दिया था, हालांकि टिकट हैप्पीनेस पार्क के नाम से ही बेचा जाता रहा।
‘राजधानी अपडेट’ ने जनता से सीधे जुड़े इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए बीती 14 अगस्त को “मनमाने ढ़ग से LDA ने बदला गौतम बुद्ध पार्क का नाम, विरोध व डिप्टी CM की नाराजगी पर हटाया बोर्ड, लेकिन… ” शीर्षक से न्यूज पोस्ट की थीं। जिसपर गंभीरता दिखाते हुए एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने भी इंजीनियरों को कार्रवाई के निर्देश थे। जिसके बाद अब काल्पनिक नाम ‘हैप्पीनेस’ न सिर्फ टिकट, बल्कि पार्क में जगह-जगह लगाए गए लोगो से भी हटाया गया है।
प्राइवेट कंपनी के हाथ में जाते ही गरीबों की पहुंच से दूर हुआ गौतम बुद्ध पार्क
जिस गौतम बुद्ध पार्क से लखनऊ के खासकर गरीब बच्चों का करीब पांच दशक पुराना नाता रहा है। वहीं पार्क अब प्राइवेट कंपनी के हाथों में जाते ही गरीबों से दूर हो गया है। छुट्टी के दिनों में सिर्फ प्रवेश टिकट के नाम पर ही दस रुपए से सीधे सौ रुपए तक लोगों को चुकाने पड़ रहें हैं। पार्क के अंदर अन्य सुविधाओं के लिए लोगों को अलग से जेबें ढीली करनी पड़ रहीं। टिकट के दाम में दस गुना बढ़ोतरी के चलते रविवार को भी कई गरीब परिवार के बच्चे व सदस्य मायूस होकर पार्क के बाहर से ही लौट जा रहें हैं।
मासूमों से लेकर बुजुर्गों तक पर भारी पड़ रही एलडीए की ‘क्रूर नीति’
वहीं खुद को ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ वाली संस्था होने का दावा करने वाली एलडीए की नई नीति गरीबों के लिए क्रूर साबित हो रही है। इस नीति के चलते तीन साल की उम्र से ज्यादा के बच्चों को भी टिकट खरीदना पड़ रहा है, जबकि पहले इसी पार्क में 12 साल के बच्चों के अलावा सीनियर सिटीजन को भी निशुल्क प्रवेश मिल जाता था।
जनेश्वर-लोहिया समेत अन्य पार्क में अब भी दस रुपए में इंट्री
भले ही गौतम बुद्ध पार्क में सिर्फ कदम रखने के लिए एलडीए ने सौ रुपए वसूलने की नीति बनाई है, लेकिन एशिया के सबसे बड़े जनेश्वर मिश्र पार्क में अब भी दस रुपए में ही लोगों को प्रवेश मिल रहा। इसके अलावा लोहिया व जागर्स समेत एलडीए के करीब दर्जन भर पार्क व रिवर फ्रंट पर भी दस रुपए के टिकट में ही लोग सैर कर रहें हैं। साथ ही इन जगाहों पर 12 साल तक के बच्चों व सीनियर सिटीजन से बिना कोई शुल्क लिए प्रवेश दिया जा रहा है।
कार्यवाहक इंजीनियर को पता नहीं
इस पूरे मामले में जब सीटीपी के साथ चीफ इंजीनियर की भी कुर्सी संभाल रहे के.के. गौतम से जानकारी करनी चाही गयी तो उन्होंने खुद को नया कार्यवाहक मुख्य अभियंता बताते हुए जानकारी होने से ही अनभिज्ञता जाहिर कर दी।
टिकट का दाम ज्यादा लग रहा तो…
वहीं अधीक्षण अभियंता नवनीत शर्मा ने बताया टिकट मशीन का सॉफ्टवेयर अपडेट होने के साथ ही गौतम बुद्ध पार्क के नाम से अब प्राइवेट कंपनी टिकट बेच रही। इसके अलावा पार्क में जहां हैप्पीनेस पार्क लिखा था, उसे भी हटवा दिया गया है। टिकट का दाम लोगों को ज्यादा लग रहा है तो इसपर भी उच्चाधिकारियों से वार्ता कर विचार किया जाएगा।