एलडीए के प्‍लॉट-भवनों की फर्जी रजिस्‍ट्री कराने वाला दूसरा नटरवलाल बाबू भी हुआ बर्खास्‍त

नटवरलाल बाबू बर्खास्‍त
एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। गोमतीनगर व ट्रांस्‍पोर्ट नगर समेत अन्‍य योजनाओं में एलडीए के प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री कर प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले फर्जी रजिस्‍ट्री गैंग के सदस्‍यों पर एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी की कार्रवाई जारी है। उपाध्‍यक्ष ने गोमतीनगर के 13 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री कराने वाले बाबू पवन कुमार गौतम को भी आज बर्खास्‍त कर दिया है। पवन से पहले फर्जी रजिस्‍ट्री मामले में बीते मार्च में ही वीसी ने बाबू अजय प्रताप वर्मा को बर्खास्‍त किया था। इसके अलावा बाबू आलोक नाथ व कुलदीप कुमार समेत कुछ अन्‍य बाबूओं को भी निलंबित करते हुए उनके खिलाफ भी गोमतीनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। लगातार इस तरह की बर्खास्‍तगी से फर्जी रजिस्‍ट्री करने वाले शातिरों के गैंग में हड़कंप मच गया है।

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एलडीए अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि बाबू पवन कुमार को गोमती नगर,  गोमती नगर विस्तार तथा कैलाश कुंज योजना आदि की सम्पत्तियों के निबंधन का काम सौंपा गया था। इस दौरान पवन कुमार ने बाहरी व्यक्तियों के साथ सांठगांठ कर गोमतीनगर के विनम्र खंड, वास्तु खंड, विकल्प खंड, विराज खंड, विभूति खंड व विनीत खंड स्थित एलडीए के करोड़ों रुपये की कीमत वाले प्‍लॉट व भवनों की फर्जी रजिस्ट्री करा दी थी।

गायब कर दी थी प्‍लॉट व भवनों की फाइलें

अपर सचिव के अनुसार पवन ने इसके लिए प्रापर्टी की मूल फाइलों को ही न सिर्फ एलडीए से गायब कर दिया था, बल्कि रजिस्ट्री के कूटरचित दस्तावेजों पर प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों के जाली हस्ताक्षर भी किए थे।

विभागीय जांच में भी आरोप मिले सही

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि पवन कुमार के इस कृत्य से न सिर्फ एलडीए की बहुमूल्य सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचा, बल्कि आम जनता में प्राधिकरण की छवि भी धूमिल हुई थी। पवन को निलंबित करते हुए विभागीय जांच भी शुरू की गयी थी। जांच में आरोप सही मिलने पर इसकी रिपोर्ट उपाध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत की गयी थी, जिसके आधार पर वीसी ने आज उसे बर्खास्त कर दिया।

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एलडीए से ही उपाध्‍यक्ष ने भिजवा दिया था जेल

बताते चलें कि सबसे पहले गोमतीनगर के 13 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री किए जाने का अक्‍टूबर 2021 में खुलासा होने पर त्‍तकालीन वीसी अक्षय त्रिपाठी ने पवन को एलडीए से ही पुलिस के हवाले कर दिया था, बल्कि तत्‍कालीन नजूल अफसर आनंद कुमार सिंह की तहरीर पर पवन के खिलाफ 12, जबकि ओएसडी राजीव  कुमार की तहरीर पर भी एक मुकदमा दर्ज गोमतीनगर कोतवाली में कराया गया था। जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था। कहा यह भी जाता है कि पवन ने 12 प्‍लॉटों की फर्जी रजिस्‍ट्री में आनंद कुमार, जबकि एक में राजीव कुमार के हस्‍ताक्षर का इस्‍तेमाल किया था।

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