स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे सरकारी डॉक्‍टरों पर दिए कार्रवाई के निर्देश

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह

आरयू ब्‍यूरो

लखनऊ। पैसे की भूख के चलते लगातार बदनामी के दलदले में धसते जा रहे डॉक्‍टरी के पेश को स्‍वच्‍छ बनाने के लिए आज स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्‍टरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए है।

प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त सरकारी डॉक्‍टरों को किसी भी हाल में मनमानी नहीं करने दिया जाएगा। राजकीय सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रेक्टिस करना एक जघन्य अपराध है। ऐसे चिकित्सकों को चिन्हित कर तत्काल उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढ़े- चर्चित KGMU के डाक्टरों को योगी की न‍सीहत, मरीजों से करें अच्छा व्यवहार

उन्होंने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा को निर्देश दिए कि जिन चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त होने की जानकारी प्राप्त हुई है, उनके खिलाफ तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।

योगी राज में मंत्री के तेवर और फरमान का पता चलते ही पैसे की लिए अपने पेशे की गरिमा और फर्ज भूल चुके लालची डॉक्‍टरों में हड़कंप है।

यह भी पढ़े- फॉर्म में है योगी के मंत्री, दौरा कर बलरामपुर अस्‍पताल का देखा कोना-कोना

बता दें कि हाल ही में मीडिया में यह खबरें आई थी कि सरकारी डॉक्‍टर किस तरह से प्राइवेट नर्सिंग होम ओर अस्‍पताल खोलकर खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे है। आज मंत्री ने खबरों का संज्ञान लेने हुए कहा कि यह एक गम्भीर समस्या है। इससे सख्ती से निपटा जाएगा।

इसके अलावा स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों की सूची भी तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि चिकित्सक समय से अस्पतालों में न सिर्फ मौजूद रहें बल्कि ओपीडी में निर्धारित समय तक मरीजों का इलाज भी करें।

यह भी पढ़े- एक क्लिक पर जानें, आधी रात में बैठक कर योगी ने लिए कौन-कौन से बड़े फैसले

सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को निःशुल्क और बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, लेकिन चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त होने से मरीजों को पूरी तरह सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और मरीज भारी भरकम रकम चुकाकर निजी चिकित्सालयों में इलाज कराने को मजबूर होते है। साथ ही उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान भी होना पड़ रहा है।