अनुराग तिवारी केस में 27 अगस्त को आएगा अहम फैसला, बर्थ-डे पर लखनऊ की सड़क पर मिली थी संदिग्ध हाल में IAS अफसर की लाश

आइएएस अफसर अनुराग तिवारी
20 मई 2017 को एफएसएल की टीम ने मौके पर पहुंच इस तरह किया घटना का रिक्रिएशन। पुतले को ठीक वहीं रखा जहां अनुराग की लाश मिली थी।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। करीब तीन साल तीन महीना पहले राजधानी लखनऊ में संदिग्‍ध हाल में जान गंवाने वाले कर्नाटक कैडर के आइएएस अफसर अनुराग तिवारी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सीबीआइ की स्‍पेशल कोर्ट ने भाई मयंक तिवारी द्वारा आइएएस अफसर के मौत की दोबारा जांच कराने के लिए लगभग एक साल पहले दाखिल किए गए प्रोटेस्‍ट याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली है।

साथ ही कोर्ट ने प्रोटेस्‍ट याचिका पर 27 अगस्त के लिए अहम फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने यह आदेश मयंक की अधिवक्‍ता डॉ. नूतन ठाकुर तथा सीबीआइ के अधिवक्‍ता को सुनने के बाद पारित किया है।

नूतन ठाकुर ने बताया कि सीबीआइ ने यह कहते हुए केस बंद कर दिया था कि अनुराग तिवारी द्वारा किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने या उनके बड़े अफसरों द्वारा मौत का डर होने के आरोपों की मौखिक, लिखित तथा तकनीकी साक्ष्यों से पुष्टि नहीं हो सकी।

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वहीं नूतन ठाकुर ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआइ द्वारा विवेचना के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया था। साथ ही सीबीआइ ने यह पूरी विवेचना पूर्वाग्रहपूर्ण दृष्टिकोण के साथ इस केस को दुर्घटना बताने के उद्देश्य से पूरी की है। इस प्रकिया में सीबीआइ ने कई सारे तथ्यों एवं साक्ष्यों को दरकिनार किया, कई महत्वपूर्ण फॉरेंसिक साक्ष्यों को छोड़ दिया एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानबूझ कर गलत व्याख्या की।

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नूतन ठाकुर ने बताया कि प्रोटेस्ट प्रार्थनापत्र में विवेचना की समस्त खामियों को प्रस्तुत करते हुए अंतिम रिपोर्ट को निरस्त करते हुए एसपी रैंक के अधिकारी से विवेचना करवाए जाने कि प्रार्थना की गयी है।

आइएएस अफसर अनुराग तिवारी
अनुराग तिवारी। (फाइल फोटो)

वहीं सीबीआइ के अधिवक्‍ता ने कहा है कि केस के सभी पहलुओं को गंभीरता से देखा गया तथा मौत में किसी प्रकार की संदिग्ध स्थिति नहीं पायी गयी।

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आइएएस अफसर के साथ ठहरे थे अनुराग

गौरतलब है कि लगभग 39 महीना पहले आइएएस अफसर अनुराग तिवारी की लाश उनके ही बर्थ-डे पर हरतगंज इलाके में स्थित मीराबाई गेस्‍ट हाउस से कुछ कदमों की दूरी पर सड़क पर मिली थी। घटना वाली रात अनुराग तिवारी अपने बैच मेट व दोस्‍त तत्‍कालीन एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह के साथ मीराबाई गेस्‍ट हाउस के एक ही कमरे में ठहरे थे। शव की स्थित देख अनुराग तिवारी के परिजन हत्‍या किए जाने की बात लगातार कहते रहें, हालांकि अपनी जांच के बाद सीबीआइ की टीम ने हत्‍या की बात से इंकार कर दिया था। सीबीआइ की ओर से कोर्ट दायर की गयी क्‍लोजर रिपोर्ट को सितंबर 2019 में अनुराग के भाई मयंक तिवारी सीबीआइ की स्‍पेशल कोर्ट में चैलेंज करते हुए प्रोटेस्‍ट याचिका दायर की थी।

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