इंदिरा गांधी की जयंती पर बोले राहुल, हिम्मत-मोहब्बत की मिसाल थीं दादी, उन्हीं से सीखा देशहित के रास्ते पर चलना

इंदिरा गांधी की जयंती

आरयू वेब टीम। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 107वीं जयंती है। इस मौक पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दिल्ली में शक्ति स्थल पहुंचे और इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कांग्रेस पार्टी के कई नेता भी मौजूद रहे।

वहीं राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, “दादी हिम्मत और मोहब्बत दोनों की मिसाल थीं। उन्हीं से मैंने सीखा है कि निडर होकर देशहित के रास्ते पर चलते रहना असली ताकत है। उनकी यादें मेरी शक्ति हैं, जो हमेशा मुझे राह दिखाती हैं।”

इस दौरान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रियंका गांधी ने इंदिरा गांधी के महाराष्ट्र चुनाव के प्रचार को याद कर कहा, मेरी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी जी अपने चुनाव अभियान की शुरुआत हमेशा महाराष्ट्र के नंदुरबार से करती थीं। वे मानती थीं कि आदिवासी समाज की संस्कृति सबसे अच्छी और अनूठी है, क्योंकि वह प्रकृति का सम्मान और संरक्षण करती है।

उन्होंने कहा कि जब वे प्रधानमंत्री बनीं तो आदिवासी समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कानून बनाकर उन्हें शक्ति देने का काम किया। उन्होंने अपनी नीतियों से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों को सबसे ज्यादा मजबूत किया।आज कांग्रेस पार्टी जाति आधारित जनगणना और एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने की मांग करके इंदिरा गांधी जी के विचारों को ही आगे बढ़ा रही है। दादी जी! आपके दिए सेवा और संस्कार के सबक सदैव हमारे साथ रहेंगे।

बता दें कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। 1966 से 1977 और फिर 1980 से 1984 में अपने निधन तक वह प्रधानमंत्री रहीं। वह अपने पिता जवाहर लाल नेहरू के बाद सबसे ज्यादा वक्त तक प्रधानमंत्री रहने के मामले में दूसरे पायदान पर रहीं। इंदिरा गांधी ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी और उनके व्यक्तित्व की मिसालें दी जाती हैं।

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इंदिरा गांधी वह हैं, जिन्हें उनके निर्भीक फैसलों व दृढ़निश्चय के चलते लौह महिला कहा जाता है। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1971 की जंग में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था। पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान के दमन और अत्याचार से मुक्त कराने का श्रेय इंदिरा को ही जाता है। 1971 की जंग में पाकिस्तान के करीब एक लाख सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। उसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ।

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