ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया चंद्रयान-2, राष्‍ट्रपति-PM मोदी ने दी बधाई, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

चंद्रयान-2
अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक नई उड़ान भरता चंद्रयान2

आरयू वेब टीम। लंबे समय से जिस बड़ी कामयाबी का इंतजार था वो सफल हो गया और चंद्रयान 2 ने सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में नई उड़ान भरी। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने सोमवार दोपहर 2.43 मिनट पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 को लॉन्च किया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को  दोपहर दो बजकर 43 मिनट पर हुआ। चंद्रयान-2 को देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-MK3 से लॉन्च किया गया, जिसके बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई।

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इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये है। इसका वजन 3877 किलोग्राम। चंद्रयान-2 का उद्देश्य चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा और चंद्रमा के मौसम और उसकी सतह में मौजूद खनिजों का अध्ययन करना है। साथ ही यह चांद की मिट्टी की जांच करेगा। चांद के सतह की तस्वीरें भेजेगा।

मिशन की सफलता पर नेताओं ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन सफल होने पर बधाई देते हुए कहा, ‘खास क्षण जो स्वर्णिम इतिहास में दर्ज होंगे। चंद्रयान 2 का सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हमारे वैज्ञानिकों के कौशल और 130 करोड़ भारतीयों के दृढ़ निश्चय को दिखाता है। हर भारतीय आज बहुत गौरवान्वित है। चंद्रयान-2 से हमारे युवा वैज्ञानिक विज्ञान, उच्च क्वालिटी रिसर्च और इनोवेशन की तरफ प्रोत्साहित होंगे।

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बधाई देते हुए कहा कि भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाईष मेरी कामना है कि टेक्नोलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में इसर, नित नई ऊंचाइयों को पहुंचे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी वैज्ञानिकों और भारतीयों को बधाई दी है।

गौरतलब है कि इससे पहले चंद्रयान-2 को लेकर जीएसएलवी-एमके-3 रॉकेट 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर उड़ान भरने वाला था, मगर तकनीकी खराबी के कारण रॉकेट के प्रस्थान करने से एक घंटा पहले उड़ान स्थगित कर दी गई। बाद में इसरो ने अपने 44 मीटर लंबे जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क-3 (जीएसएलवी-एमके-3) की गड़बड़ी दूर की। इससे पहले इसे जनवरी के पहले सप्ताह में प्रक्षेपित करने का निर्णय भी लिया गया था, जिसे बाद में 15 जुलाई के लिए टाल दिया गया

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