जेल से आज भी बाहर नहीं आ सके डॉ. कफील, रिहाई से पहले पुलिस ने लगाया रासुका

कफील खान
डॉ. कफील खान। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ बोलने वाले गोरखपुर के डॉ. कफील खान के खिलाफ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस-प्रशासन ने डॉ. कफील खान के खिलाफ रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की है।

शुक्रवार को डॉ. कफील खान जमानत पर रिहा होने वाले थे, लेकिन रासुका लगने से उनकी मुश्किलें फिर से बढ़ गई हैं। मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान की आज रिहाई होने वाली थी, लेकिन एनएसए लगने की वजहें से रिहाई नहीं हो सकी है।

बताया जा रहा है कि आज सुबह जब कफील खान की रिहाई की तैयारी की जा रही थी, तभी अलीगढ़ प्रशासन की तरफ से एनएसए की कार्रवाई का नोटिस मथुरा जिला जेल को मिला, जिसके बाद डॉ. कफील की रिहाई को रोक दिया गया।

बताते चलें कि कफील की रिहार्ठ गुरुवार को ही हो सकती थी, लेकिन  मथुरा जिला कारागार के जेलर अरुण पाण्डेय का कहना था कि कफील खान की रिहाई का आदेश देर शाम मिला है इसलिए उनकी रिहाई गुरुवार न होकर शुक्रवार की सुबह हो पाएगी।’ वहीं आज होने वाली रिहाई से पहले ही कफील खान पर रासुका लगा दिया गया है।

एसटीएफ ने मुंबई से किया था कफील को गिरफ्तार

बताते चलें कि कफील खान पर पिछले साल 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया था।

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जिसके बाद यूपी एसटीएफ की टीम ने मुंबई में घेराबंदी करते हुए उन्‍हें गिरफ्तार किया था। वहीं एक डॉक्‍टर के पीछे एसटीएफ लगाने को लेकर भी सवाल उठे थे। कफील के समर्थकों व विपक्ष दलों का कहना था कि योगी सरकार अपनी खुन्‍नस निकालने के लिए गोरखपुर के कफील खान को परेशान कर रही है।

यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं: कफील

पुलिस के मुताबिक डॉक्टर कफील खान को हेट स्पीच की वजह से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था। वहीं यूपी एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद डॉक्टर कफील खान ने कहा था, ‘मुझे गोरखपुर के बच्चों की मौत के मामले में क्लीन चिट दे दी गई थी। अब मुझको फिर से आरोपित बनाने की कोशिश की जा कर रही हैं। मैं महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि मुझे महाराष्ट्र में रहने दे, मुझको उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं है।’

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