आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती गोरखपुर जिले के गोरखनाथ मंदिर के समीप गोरखपुर मेडिकल कालेज के चर्चित डा. कफील खान के भाई काशिफ जमील पर बीती रात बदमाशों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग कर जानलेवा हमले के अलावा इलाहाबाद में वकील रवि तिवारी की हत्या को लेकर सोमवार को एक बार फिर योगी सरकार पर हमला बोला है। इतना ही नहीं मायावती ने आज अपने एक बयान में यूपीएससी की परीक्षा दिये बिना ही मोदी सरकार के 10 महत्वपूर्ण विभागों में प्राइवेट लोगों को ’संयुक्त सचिव’ स्तर पर नियुक्ति दिए जाने पर सवाल उठाएं हैं।
बसपा सुप्रीमो ने काशिफ जमील पर जानलेवा हमले व रवि तिवारी की हत्या के मामले में योगी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि योगी सरकार फालतू के कामों को छोड़कर जनसुरक्षा, जनहित व जनकल्याण के कामों पर खास ध्यान दें, नहीं तो आने वाले समय में हालात और भी बदतर हो जाएंगे।
यह भी पढें- बंगला छोड़ने से पहले मायावती ने मीडिया को दिखाया कोना-कोना, खोले ये राज
मायावती ने योगी सरकार को भाजपा से संबंधित लोगों पर भी कार्रवाई करने की सलाह देते हुए कहा कि आज बीजेपी का हर स्तर का नेता यह मानकर चलने लगा है कि ‘संइया भये कोतवाल तो अब डर काहे का’ जो कि पूरी तरह से जनविरोधी सोच है, जिसे हर हाल में रोकना चाहिये।
केंद्र में नीति निर्धारण के मामले में बड़े-बड़े पूंजीपतियों…
वहीं मायावती ने 10 महत्वपूर्ण विभागों में प्राइवेट लोगों को ‘संयुक्त सचिव’ स्तर के उच्च नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह मोदी सरकार की प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। साथ ही यह एक खतरनाक प्रवृति भी है और केंद्र में नीति निर्धारण के मामले में बड़े-बड़े पूंजीपतियों के प्रभाव को इससे और भी ज्यादा बढावा मिलने की आशंका है।
सरकारी व्यवस्था का मजाक है बाहरी व्यक्ति को उच्च पदों पर बैठाना
वहीं यूपी की पूर्व सीएम ने तर्क देते हुए आगे कहा कि खासकर ऐसे समय में जब केंद्र व राज्यों की सरकारों के पास निविदा के आधार पर अनुभवी विशेषज्ञों को रखने की व्यवस्था व प्रचलन है। केंद्र में संयुक्त सचिव के स्तर के पद पर, जो कि राज्य में सचिव स्तर का उच्च अधिकारी होता है, बाहरी व्यक्ति को बिना यूपीएससी की स्वीकृति के उच्च सरकारी पदों पर बैठाना सरकारी व्यवस्था का मजाक है, जिसकी गलत परंपरा की शुरुआत मोदी सरकार कर रही है। इस बारे में मुख्य सवाल ये है कि मोदी सरकार किसी भी विभाग में विशेषज्ञों को तैयार करने में अपने आपको असमर्थ क्यों पा रही है? यह बड़ी चिन्ता की बात है।
यह भी पढें- लोकतंत्र के लिए खतरनाक है राज्यपालों का केंद्र सरकार के हिसाब से फैसला लेना: मायावती