आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला है। साथ ही मायावती ने राज्यपालों की कार्यप्रणाली पर सवाला उठाते हुए कहा कि केंद्र में जिसकी भी सरकार होती है, उनके द्वारा राज्यों में नियुक्त किए गए राज्यपाल अधिकतर जगह केंद्र सरकार के राजनीतिक स्वार्थ के हिसाब से फैसले लते हैं, जो राजभवनों की गरिमा को खत्म करने के साथ ही देश के लोकतंत्र के लिए भी खतरनाक हो रहा है।
अपने बयान में राजभवन पर ही सवाल उठाते हुए यूपी की पूर्व सीएम ने कहा कि राज्यपाल के ऐसे फैसला का हमारी पार्टी भी यूपी में शिकार रही है। इसकी वजह से हमें न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा था।
उन्होंने कहा कि आज जो कुछ कर्नाटक में हुआ और इसके पूर्व गोवा, मणिपुर व मेघालय आदि राज्यों में जो कुछ हमें देखने को मिला है वह बीजेपी व आरएसएस द्वारा बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर के बनाए गए भारतीय संविधान को कमजोर करने व खत्म करने की भी बड़ी साजिश है।
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कर्नाटक के समीकरण पर बात करते हुए बसपा सुप्रीमो बोली की कांग्रेस और जेडीएस व बीएसपी के कुल विधायकों की पूर्ण बहुमत की संख्या थी, लेकिन फिर भी बहुमत की संख्या से दूर रहते हुए भी बीजेपी के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलवा दी गयी है जो बहुत निंदनीय है।
इन हालातों से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि बीजेपी व आरएसएस ना तो अपने देश के भारतीय संविधान में और ना ही इसमें निहित लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखता है, जो देशहित में शुभ संकेत नहीं है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को निशाने पर लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में आज शामिल नहीं होने से इनका यह कारनामा किसी भी तरह से कम नहीं होने वाला।
कांग्रेस को मायावती की सलाह
वहीं कांग्रेस की नीतियों पर भी निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने खासकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जेडीएस को बीजेपी की ‘बी’ टीम बताकर वोटों को और बांट दिया। जिसके कारण ऐसे क्षेत्रों में भी अधिकांश बीजेपी उम्मीदवार कामयाब हो गए। कांग्रेस को सलाह देते हुए मायावती ने कहा कि कर्नाटक की तरह आगे किसी चुनाव में ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चहिए, जिससे बीजेपी व आरएसएस को लाभ मिले। कांग्रेस कर्नाटक में अगर ऐसा नहीं करती तो आज बीजेपी विधायकों की संख्या 104 भी नहीं होती।
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