आरय वेब टीम। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को तमिलनाडु के पारंपरिक खेल आयोजन ‘जल्लीकट्टू’ का साक्षी बनने के बाद कहा कि उनके इस दौरे का मकसद उन लोगों को संदेश देना था, जो सोचते हैं कि वे तमिल लोगों के साथ बुरा बर्ताव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह खेल तमिल संस्कृति का जीवंत स्वरूप है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली से यहां एक बहुत ही लोकप्रिय आयोजन देखने आया, क्योंकि मैं मानता हूं कि तमिल संस्कृति, तमिल और तमिल इतिहास भारत के भविष्य के लिए जरूरी है तथा इनका सम्मान करने की जरूरत है।’’ उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘मैं यहां उन लोगों को संदेश देने आया हूं जो सोचते हैं कि वे तमिल लोगों के साथ बुरा बर्ताव कर सकते हैं और तमिल एवं तमिल संस्कृति को अलग-थलग रख सकते हैं।
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राहुल ने कहा, ‘‘मुझे तमिलनाडु के लोगों से बहुत सारा प्यार और स्नेह मिला है। यह मेरा कर्तव्य है कि मैं तमिल लोगों के साथ खड़ा रहूं और उनके इतिहास, संस्कृति और का सम्मान करूं।’’कांग्रेस नेता ने जल्लीकट्टू के व्यवस्थित और सुरक्षित आयोजन की सराहना करते हुए कहा, ‘‘तमिल संस्कृति और इतिहास को जीवंत स्परूप में देखना बहुत ही बेहतरीन अनुभव रहा।’’ उदयनिधि स्टालिन आयोजन स्थल पर सुबह से ही मौजूद थे और शुरू में वह मंच पर राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेताओं के साथ नहीं बैठे थे, हालांकि बाद में वह राहुल गांधी के साथ बैठे जिसके बाद दोनों बातचीत करते देखे गए।
गौरतलब हैं कि पोंगल के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में राहुल गांधी के साथ द्रमुक की युवा इकाई के सचिव उदयनिधि स्टालिन, कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के एस अलागिरी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी भी मौजूद थे। बता दें कि ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु के ग्रामीण इलाक़ों का एक परंपरागत खेल है, जो पोंगल त्योहार पर आयोजित किया जाता है। इसमें लोग बैलों को पकड़ने एवं उन्हें काबू में करने की कोशिश करते हैं।