आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने मात्र तीन महीने से भी कम के कार्यकाल में एलडीए वीसी अक्षय त्रिपाठी ने सोमवार को अवैध निर्माण पर कार्रवाई व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने वाला एक ऐसा महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिसकी जरूरत अवैध निर्माण से परेशान लखनऊ की आम जनता सालों से महसूस कर रही थी। वीसी ने अवैध निर्माण की रोकथाम के लिए बनाए गए प्रवर्तन अनुभाग में आज से जोनल सिस्टम लागू कर दिया है। संभवत: एलडीए के इतिहास में किसी उपाध्यक्ष द्वारा पहली बार लिए गए इस फैसले के साथ ही अब अधिकारी व इंजीनियरों को अवैध निर्माणों को संरक्षण देने में न सिर्फ मुश्किल होगी, बल्कि वह खुद भी अपनी जिम्मेदारी से आसानी से नहीं बच सकेंगें।
कभी इंजीनियर आदेश, तो कभी प्राधिकारी बनाते थे कार्रवाई का बहाना
यहां बताते चले कि जोनल व्यवस्था लागू होने से पहले तक इंजीनियर जहां अवैध निर्माण की नोटिस काटकर विहित प्राधिकारी पर सीलिंग व ध्वस्तीकरण का आदेश नहीं करने का आरोप लगाते थे, जबकि कई बार विहित प्राधिकारी आदेश कर इंजीनियरों पर अवैध निर्माण पर कार्रवाई पूरी नहीं कराने की बात कहते थे।
इस दौरान एक्सईएन व विहित प्राधिकारी के कार्यालय के बीच अवैध निर्माण की फाइलें भी गायब कर दी जा रही थी। आरोप-प्रत्यारोप के इसी खेल के दौरान लखनऊ में न सिर्फ अवैध निर्माण तेजी से चल रहा था, बल्कि हजारों की संख्या में अवैध बिल्डिंगें बनकर तैयार भी हो गयीं। आज फैसला लागू करने के साथ ही एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने भी स्वीकार किया है कि मीटिंग में कई बार फाइलों के गुम होने की बात सामने आ रही थी, इसको देखते हुए भी जोनल व्यवस्था शुरू की गयी है। साथ ही वीसी ने जोनल व्यवस्था लागू करने के कई अन्य महत्वपूर्ण कारण भी बताएं हैं।
सुपरवाइजर से एई तक करेंगे जोनल प्रभारी के निर्देश पर काम
वहीं जोनल व्यवस्था लागू होने के बाद जोनल प्रभारी न सिर्फ विहित प्रभारी की तरह अवैध निर्माण पर कागजी कार्रवाई कराएंगें, बल्कि संबंधित अवैध निर्माण की सीलिंग व ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर होगी। इस काम में सुपरवाइजर से लेकर जेई व एई तक जोनल अधिकारी के निर्देश पर काम करेंगे। इसके साथ ही अब जिस जोन में भी अवैध निर्माण होगा उसके लिए संबंधित जोनल प्रभारी की सीधी जिम्मेदारी भी तय की जा सकेगी।
उपाध्यक्ष ने चार पीसीएस व तीन इंजीनियरों पर जताया भरोसा-
जोनल व्यवस्था लागू करने के साथ ही एलडीए उपाध्यक्ष ने आज एलडीए के सभी सातों जोन के प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं। काफी समय से एलडीए की किरकिरी कराने वाले अवैध निर्माण के मसले से निपटने के लिए वीसी ने चार पीसीएस अफसरों के अलावा तीन अधिशासी अभियंताओं पर भी भरोसा जताया है।
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प्रवर्तन जोन एक की जिम्मेदारी ओएसडी अमित राठौर, जोन दो की ओएसडी डीके सिंह, जोन तीन में एक्सईएन दिवाकर त्रिपाठी, जबकि जोन चार में अवैध निर्माण रोकने के लिए नजूल अफसर आनंद कुमार सिंह को प्रभार सौंपा गया है।
इसके अलावा जोन पांच का प्रभारी ओएसडी राम शंकर, जोन छह की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता कमलजीत सिंह व प्रवर्तन जोन सात का प्रभारी जहीरूद्दीन को बनाया है। खास बात यह भी है कि वीसी ने किसी भी अफसर व इंजीनियर को पहले की तरह दो या तीन जोन की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है।
प्रवर्तन से मिली दो अधिशासी अभियंताओं को मुक्ति
प्रवर्तन जोन चार व पांच देखने वाले एक्सईएन केके बंसला के अलावा प्रवर्तन जोन एक के प्रभारी अधिशासी अभियंता एके सिंह को वीसी ने प्रवर्तन से पूरी तरह से मुक्त कर दिया है, अब दोनों इंजीनियर निर्माण कार्य ही देखेंगे। कहा जा रहा है कि निमार्ण के काम के बोझ की अधिकता के चलते दोनों एक्सईएन चाहकर भी अवैध निर्माण पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे। इसके अलावा एक्सईएन दिवाकर त्रिपाठी से महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रवर्तन जोन दो का चार्ज हटा है, हालांकि दिवाकर त्रिपाठी को अब प्रवर्तन जोन तीन का पूरा प्रभारी बनाया गया है।
कई बार एलडीए से आवास विभाग तक उठी बात, लेकिन…
उल्लेखनीय है कि एलडीए को छोड़कर लगभग पूरे यूपी के विकास प्राधिकरणों में अवैध निर्माण की रोकथाम के लिए जोनल व्यवस्था लागू है। लखनऊ में जोनल व्यवस्था लागू करने के लिए लविप्रा से लेकर आवास विभाग तक में कई बार बात उठीं, लेकिन हर बार किसी न किसी बहाने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, यहां तक कि एलडीए में दो से तीन साल तक लगातार तैनात रहने के बावजूद पिछले कई उपाध्यक्ष ‘सीलिंग में डीलिंग’ पर लगाम लगाने व विभाग की छवि धूमिल होने से बचाने वाली जोनल व्यवस्था को लागू नहीं करा सके।
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जूनियर-सीनियर का ईगो भी बनता था अवैध निर्माण की ढाल
एलडीए में अब तक चल रही व्यवस्था में एक खामी यह भी थी कि जूनियर अफसर व सीनियर इंजीनियरों का ईगो भी कई बार अवैध निर्माण की ढाल बनता था। दरअसल में एसडीएम रैंक के पीसीएस अफसर के पास विहित प्राधिकारी का चार्ज होने पर कई बार तकरार की स्थिति में एक्सईएन उनके आदेशों को महत्व नहीं देते थे। विवाद होने पर अधिाशासी अभियंताओं का कहना रहता था कि उनके जूनियर एई के बराबर पेय स्केल होने के बावजूद विहित प्राधिकारी का आचरण एक्सईएन के प्रति अनूकूल नहीं है।
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एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने इस बारे में बताया कि पहले की व्यवस्था में परिवाद दाखिल कराने से लेकर फाइलों के रख-रखाव व अवैध निर्माण पर प्रभावी कार्रवाई में कई तरह की दिक्कतें सामने आ रहीं थीं। जिसको देखते हुए अब जोनल सिस्टम लागू कर पूरी कार्रवाई को एक ही चेन ऑफ कमांड में कर दिया गया है। इससे न सिर्फ अवैध निर्माण पर पहले से बेहतर तरीके से रोक लगेगी, बल्कि संबंधित की जवाबदेही भी आसानी से तय की जा सकेगी। इसके साथ ही कार्यों की आवश्यकता को देखते हुए पूरा प्रयास कर ओएसडी को उन्हीं जोन का प्रभारी बनाया गया है, जहां वह संपत्ति का काम देख रहे हैं। इसके अलावा एक अधिकारी के पास दो से तीन जोन होने की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है। इससे एलडीए के मैन पॉवर की भी बचत होगी और निर्माण कार्य में अधिक इंजीनियर अपनी जिम्मेदारी निभाएंगें।