आरयू ब्यूरो, लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश समेत देश भर में हो रहे शांतिपूर्ण व हिंसक प्रदर्शनों के बीच शनिवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी एक बार फिर इनका विरोध करने का ऐलान किया है।
अखिलेश यादव ने आज अपने एक बयान में कहा है कि समाजवादी पार्टी नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा एनआरसी के पक्ष में नहीं है। इनका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। देशभर में हो रहे प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र में किसी बात को लेकर विरोध प्रदर्शन करना जनता का अधिकार है, लेकिन उसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं हो सकता है।
साथ ही सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की जा रही कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए अखिलेश ने कहा कि सत्ता के रोड रोलर से जनमत को कुचला नहीं जा सकता है। भाजपा सरकार का जिक्र कर सपा अध्यक्ष बोले, सरकार द्वारा निर्दोषों को फंसाने की साजिश नहीं होनी चाहिए। भाजपा को चाहिए की वह मनमानी छोड़कर जनता की आवाज सुने। असहमति को विद्वेष की भावना से नहीं देखे। देश में गंगा-यमुनी संस्कृति पर आघात जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती।
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हमला जारी रखते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि देश में अमन चैन कायम रहे इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार जनता के हितों की रक्षा के लिए चुनी जाती है। उसे संविधान के दायरे में ही काम करना होता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता के साथ व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता-अखण्डता सुनिश्चित करने तथा बंधुता बढ़ाने का संकल्प दिया गया है।
संविधान की मूल भावना से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता है। ऐसा करना संविधान की शपथ की अवहेलना और राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़ करना होगा। भाजपा सरकार को भी संविधान का सम्मान करना सीखना चाहिए। लोकतंत्र की मर्यादा एवं नैतिकता का सम्मान होना आवश्यक है।
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वहीं आज सपा अध्यक्ष ने अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह सामाजिक सद्भाव बनाने और आपसी भाईचारा कायम रखने के लिए जनता के बीच जाएं और उनसे संपर्क कर सपा का पक्ष भी रखे, कि वह किसी के बहकावे में नहीं आएं। अखिलेश ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि सपा लोकतांत्रिक विरोध की पक्षधर है और उसकी मांग है कि किसी के साथ अन्याय न किया जाए।