आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। धार्मिक और सामाजिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ की तल्ख टिप्पणी के बाद अब योगी सरकार हरकत में आती दिखाई दे रही है। अब सरकार ने इस पर नियंत्रण के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगे स्थायी लाउडस्पीकरों के बारे में रविवार को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने आज मीडिया को बताया कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) के प्राविधानों का कड़ाई से अनुपालन करने के संबंध में हाइकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।
15 जनवरी के बाद से हटाएं जाएंगे अवैध लाउडस्पीकर
साथ ही बिना अनुमति के लगाए गए लाउडस्पीकरों का डॉटा दस जनवरी तक जुटाने के लिए डीएम और एसएसपी को पत्र भेजे गए हैं। 15 जनवरी तक जो भी तय मानकों के अनुसार अनुमति नहीं लेगा। उस जगह से लाउडस्पीकर को हटा दिया जाएगा। समझा जा रहा है कि इस महीने के अंत तक सभी अवैध लाउडस्पीकर हटवा दिए जाएंगे।
सरकार ने अब दस पृष्ठ का लाउडस्पीकर के सर्वेक्षण का प्रोफॉर्मा जारी किया है। इसमें स्थायी रूप से लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत लेने का फॉर्म और जिन लोगों ने लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत नहीं ली है, उनके खिलाफ की गयी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देने को कहा गया है।
बता दें कि हाइकोर्ट ने बीते 20 दिसंबर को राज्य में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में नाकामी को लेकर कड़ी नाराजगी जतायी थी और राज्य सरकार से पूछा था कि क्या प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे लाउडस्पीकर संबंधित अधिकारियों से इजाजत लेने के बाद लगाएं गए हैं? अदालत की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों एवं अन्य सरकारी स्थानों पर बिना सरकारी अनुमति के लाउडस्पीकर बजाने पर सख्त ऐतराज जताया था।
साथ ही अदालत ने प्रमुख सचिव गृह एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन को यह सारी सूचना अपने व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए एक फरवरी तक पेश करने का आदेश दिया था। वहीं अदालत ने दोनों अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि ऐसा नहीं करने की स्थिति में दोनों अधिकारी अगली सुनवायी के समय व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहेंगे।
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स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने 20 दिसंबर को यह आदेश जारी किया था।
जानें क्या कहते हैं नियम
ध्वनि प्रदूषण नियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 में यह प्रावधान है कि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्यूनिटी हॉल जैसे बंद स्थानों को छोड़ कर रात दस बजे से प्रात: छह बजे तक लाउडस्पीकरों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। हालांकि, राज्य सरकार को यह छूट है कि वह एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम 15 दिनों के लिए सांस्कृतिक या धार्मिक अवसरों पर रात 10 बजे से रात 12 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण कम करने की शर्तों के साथ लाउडस्पीकर बजाने की छूट दे सकती है।
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