आरयू वेब टीम।
एक ओर उत्तर प्रदेश में समान कार्य समान वेतन को लेकर शिक्षामित्रों ने लंबा आंदोलन चलाया। वहीं दूसरी ओर आज बिहार की पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उनकी समान कार्य समान वेतन की मांग को सही ठहराकर अपनी मोहर लगा दी।
हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन की मांग सही है। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि समान कार्य के लिए सरकार द्वारा समान वेतन नहीं देना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।
नियोजित शिक्षकों की ओर से वरीय अधिवक्ताओं राजेंद्र प्रसाद सिंह, पीके शाही, विश्वनाथ प्रसाद सिन्हा ने शिक्षकों को मिल रहे वेतन में भेदभाव करने का आरोप लगाया था। वहीं, सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति सरकार नहीं करती है। इसलिए समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत नियोजित शिक्षकों पर लागू नहीं होगा।
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वहीं याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया था कि सूबे के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकों से समान कार्य तो लिया जा रहा है, लेकिन वेतन समान नहीं दिया जा रहा है। नियोजित शिक्षकों का वेतन विद्यालय में कार्यरत चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से भी कम है। हाईकोर्ट के फैसले का शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे बिहार के नियोजित शिक्षकों ने अपनी मांगों के समर्थन में पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर बिहार में नियोजित शिक्षक सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ रहे थे और इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया था तथा मैट्रिक व इंटरमीडिएट की कॉपी का मूल्यांकन करने से इंकार कर दिया था
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गौरतलब है कि समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर सबसे पहले मुंगेर के हवेली खड़गपुर स्थित बनहरा स्कूल के शिक्षक उपेंद्र राय ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद 13 अन्य मामले दायर किये गये थे। मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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