आरयू वेब टीम। उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों और सड़क पर आ रही दरारें बढ़तीं जा रहीं है। साथ ही जमीन धंसने के बाद स्थिति और भी भयावह हो रही है। कई जगहों से पानी की धार फूटने की घटना हुई है। अब होटल भी झुकने लगे हैं और जमीन पर पड़ी दरारें चौड़ी होने लगी हैं। स्थानीय प्रशासन ने शुक्रवार को प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
जिसके बाद आपदा प्रबंधन के सचिव रणजीत सिन्हा ने कहा कि जहां नई दरारें आई हैं उनका हमने आज सर्वे किया। कुछ होटल झुक गए हैं और कुछ जगहों पर पानी के नए स्रोत सामने आए हैं। साथ ही कहा कि जमीन से निकलने वाली पानी की धार खतरनाक है, क्योंकि ये जमीन के अंदर एक वैक्यूम बना रही है। इससे जमीन के हिस्से को डुबने का खतरा बना रहेगा।
अधिकारी ने कहा कि हमें प्रभावित लोगों को दूसरी जगहों पर भेजना होगा। हमें भवन निर्माण के सख्त नियम भी बनाने होंगे। साथ ही हम भवन निर्माण को लेकर जीओ भी जारी करेंगे। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए इलाके में प्रभावित लोगों को अस्थायी शिविरों में भेजा है। पर्यटकों को होटलों में रुकने से मना किया गया है।
वहीं गढ़वाल डिवीजन के डिविजनल कमिश्नर सुशील कुमार ने बताया कि जोशीमठ की स्थिति पर उनकी नजर है। कमिश्नर ने बताया कि जमीन से पानी की धार निकलने की वजह से कई जगह दरारें आई हैं। चमोली प्रशासन ने ‘डूबते’ शहर में और उसके आस-पास सभी निर्माण गतिविधियों पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया।
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इसके अलावा करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। शहर में लोगों की परेशानियों पर प्रशासन के बेपरवाही वाले रवैये और ‘एनटीपीसी की परियोजना जिसकी वजह से समस्या पैदा हुई है’के विरोध में बंद रहा। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि लोग प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने चक्का जाम किया। इस दौरान व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।