आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपना दल कमेरावादी पार्टी के समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद जनवादी पार्टी सोशलिस्ट (जेपीएस) ने भी शुक्रवार को सपा से गठबंधन तोड़ते हुए यूपी की 27 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया। साथ ही जेपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय चौहान ने समाजवादी पार्टी को भाजपा की बी टीम बताते हुआ कहा कि सब सीट पर टिकट भाजपा को जिताने के लिहाज से बांटे जा रहे हैं।
शुक्रवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में मीडिया से बातचीत में संजय चौहान ने ऐलान किया कि अब जनवादी पार्टी सोशलिस्ट उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर घोसी से लोकसभा का चुनाव अपने सिंबल पर लड़ेंगे। जिसके तहत घोसी सीट पर संजय चौहान ने अपन नाम, जबकि मछली शहर, गाजीपुर, बलिया, चंदौली, लालगंज, वाराणसी, भदोही में भी पार्टी के कार्यकर्ता मैदान में उतरेंने की बात कही है।
डॉ. चौहान ने आरोप लगाया कि सपा अध्यक्ष पीडीए की बात करते हैं, लेकिन चौहान बिरादरी को सम्मान नही देना चाहते हैं। उनका बर्ताव भी पिछड़ी जातियों के प्रति ठीक नहीं है। वह सिर्फ धनबल वालों को उम्मीदवार बना रहे हैं। आगे कहा कि वह घोसी से ही समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते थे पर अखिलेश यादव उनको आश्वासन देते रहे, लेकिन टिकट देने के समय उन्होंने राजीव राय को टिकट दे दिया, जबकि अखिलेश यादव ने उन्हें कई बार इस सीट पर टिकट देने का आश्वासन दिया था।
संजय चौहान ने यह भी दावा किया कि राजीव राय घोसी के लिए एक कमजोर प्रत्याशी हैं और वहां पर चौहान समाज के लोग उनको वोट नहीं देने जा रहे हैं, जिनका तकरीबन साढ़े तीन लाख वोट है। संजय चौहान ने कहा कि वह चुनाव हारने या जीतने के लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि अपने समाज के वोट को एकजुट करने के लिए ये चुनाव लड़ रहे हैं कि उनके समाज का वोट उनके पक्ष में एक जुट रहे यही उनकी कोशिश है, जिससे सदन में उनकी नुमाइंदगी कर सकें।
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इस दौरान चौहान ने दावा किया कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ किसी भी हाल में नहीं जाएंगे, क्योंकि जो लोग भी भाजपा के साथ हैं चाहे वो संजय निषाद हों या फिर ओमप्रकाश राजभर हो वह लोग अपने समाज और अपने हक की बात उस पार्टी में नहीं रख पाते हैं।
बता दें कि साल 2019 में सपा ने गठबंधन में शामिल किया। चंदौली लोकसभा क्षेत्र से सपा के सिंबल पर डाॅ. संजय चौहान मैदान में उतरे और 13 हजार वोटों से हार गए। साल 2022 के चुनाव में भी सपा के साथ गठबंधन में रहे। सपा के ही सिंबल पर उतरौला, खड्डा और रसड़ा से उम्मीदवार उतारे, लेकिन तीनों सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे।