CM आंध्र प्रदेश के आरोप के बाद जस्टिस रमन्ना ने कहा, जजों में होनीं चाहिए दबाव झेलने की खूबी

जस्टिस रमन्ना
जस्टिस रमन्ना। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखकर जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। जिसके बाद कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस रमन्ना ने रविवार को कहा है कि जजों में ये अच्छी तरह से आना चाहिए कि वे सभी तरह के दबावों को झेल सकें और विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकें। जस्टिस रमन्ना ने साथ में यह भी कहा कि मौजूदा समय में एक प्रभावी एवं स्वतंत्र न्यायपालिका की जरूरत है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन ने यह भी आरोप लगाया कि जस्टिस रमन्ना टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के साथ अपने करीबी रिश्तों के चलते आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की पीठों को प्रभावित कर रहे हैं। जस्टिस रमन्ना ने यह भी कहा, “न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत उसमें लोगों का विश्वास है। विश्वास और स्वीकार्यता के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है, उन्हें अर्जित करना पड़ता है।“

पिछले दिनों आंध्रा के जगनमोहन सरकार और हाईकोर्ट के बीच विवाद उस वक्त खुलकर सामने आ गया, जब रेड्डी ने चीफ जस्टिस एसए बोबड़े को पत्र लिखते हुए कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एनवी रमन्ना पर आरोप लगाया कि वो उनकी सरकार को गिराने की साजिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने ऐसे वक्त में चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है जब वो खुद कई कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं।

गौरतलब है कि जस्टिस रमन्ना की अगुवाई वाली पीठ वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें वर्तमान एवं पूर्व विधायकों/सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच में तेजी लाने की मांग की गई है। इसी पीठ के एक आदेश के बाद आय से अधिक संपत्ति मामले में मुख्यमंत्री रेड्डी के खिलाफ विशेष सीबीआई कोर्ट में पिछले नौ अक्टूबर को फिर से मामले को शुरू किया गया।

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इसके अगले दिन ही मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव कल्लम ने मुख्यमंत्री द्वारा लिखे गए पत्र को मीडिया में सार्वजनिक कर दिया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारी समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर जगनमोहन रेड्डी के कदम की निंदा की है और कहा है कि इस तरह पत्र को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए था। एससीबीए ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा इस तरह का कार्य करना संविधान में दिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है।

हालांकि एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है और कहा है कि केवल जांच से ही पता चल सकेगा कि जज के खिलाफ आरोप सही हैं या गलत। ऐसे मौके पर इस तरह का प्रस्ताव उचित नहीं है। जगनमोहन रेड्डी ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति, रोस्टर और केस आवंटन को लेकर भी सवाल उठाए थे।

मीडिया को दिए गए नोट में उन्होंने कहा था कि जबसे नई सरकार ने नायडू के 2014-2019 के कार्यकाल में लिए गए कदमों के बारे में जांच शुरू की है, यह स्पष्ट है कि जस्टिस रमन्ना ने चीफ जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी के माध्यम से राज्य के न्यायिक प्रशासन को प्रभावित करना शुरू कर दिया। इससे इतर तेलुगू देशम पार्टी ने जगनमोहन रेड्डी के आरोपों को ‘न्यायपालिका के खिलाफ जानबूझकर किया गया षड्यंत्र’ बताकर खारिज कर दिया है और कहा है कि इससे अधिक ज्यादती नहीं हो सकती है।

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