आरयू ब्यूरो, लखनऊ। संविधान दिवस के मौके पर गुरुवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगया है। अखिलेश ने कहा है कि भाजपा आरक्षण समाप्त करना चाहती है, यहीं वजहें सपा के कई बार मांग उठाने के बावजूद भाजपा जाति आधारित जनगणना कराने का विरोध कर रही है।
आज अपने एक बयान में अखिलेश ने कहा 26 नवंबर 1949 को ‘संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य‘ का संविधान अंगीकृत और आत्मार्पित किया गया था। भारत के इस संविधान की उद्देशिका में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने और व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्रीय अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने का दृढ़संकल्प भी घोषित किया गया था।
चंद घरानों में देश की पूंजी बंधक
सपा अध्यक्ष ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चंद घरानों में देश की पूंजी बंधक बन गई है। गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। अन्नदाता किसान बदहाल है, नौजवान के सामने भविष्य का अंधेरा है, और जनसामान्य मंहगाई, भ्रष्टाचार और अपराधों की बढ़त से व्याकुल है। महिलाओं और बेटियों की इज्जत खतरे में है, वे आत्महत्याएं कर रही हैं।
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असहमति को देशद्रोह का तमगा दिया जाने लगा
हमला जारी रखते हुए यूपी के पूर्व सीएम ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सबसे ज्यादा आघात भाजपा राज में हुआ है। असहमति को देशद्रोह का तमगा दिया जाने लगा है। बच्चों को मिड-डे-मील में नमक-रोटी दिए जाने का सच दिखाने पर पत्रकार को जेल भेजा जाता है। सच लिखने पर पत्रकारों की जानें तक गई है। सरकार का रवैया एकपक्षीय रूप से समाज के कमजोर वर्ग पर हमलावर जैसा है। उपासना और धार्मिक विश्वासों पर चोट की जा रही है।
समाज बांटने वाली विचारधारा का किया जा रहा प्रचार
बीजेपी पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता की फ्रेंचाइजी एक विशेष दल ने स्वयं ही ले ली है। उनके मानकों से ही सब कुछ तय होता है। सत्तादल की एकाधिकारी मानसिकता के चलते व्यक्ति की गरिमा पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं और देश में आरएसएस की विघटनकारी, समाज को बांटने वाली विचारधारा का प्रचार किया जा रहा है। भाषा की मर्यादा भूलकर विद्वेषकारी बयान दिए जा रहें हैं।