आरयू वेब टीम। कंगना के आजादी वाले विवादित बयान पर बुधवार को एक बार फिर शिवसेना सांसद संजय राउत ने जवाब देने के बहाने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया है। कंगना रनौत ने कहा है कि एक गाल पर कोई थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर देने से आजादी नहीं मिलती। 1947 में तो आजादी भीख में मिली थी। असली आजादी 2014 में (मोदी सरकार आने के बाद) मिली।
इसके जवाब में संजय राउत ने कहा, ‘चीन भारतीय सीमा के अंदर घुस रहा है। हम क्या कर रहे हैं? यह केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दूसरा गाल आगे करने जैसा ही है। कश्मीर में पंडितों की हत्याएं हो रही हैं..और बहुत कुछ चल रहा है। ये सब मैडम को पता रहना चाहिए। ठीक है, कुछ विचार ऐसे हो सकते हैं, जिनसे हमारे मतभेद हो सकते हैं। बालासाहब भी उनकी कई बार आलोचना कर चुके हैं, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अग्रणी भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता। महात्मा गांधी विश्व के नायक थे और हैं। मोदी जी भी राजघाट पर जाकर फूलमाला चढ़ाते हैं, विश्व और देश गांधी की विचारधारा से आज भी प्रभावित है, और रहेगा।’
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वहीं संजय ने एक सभा में देवेंद्र फडणवीस पर पलटवार करते हुए कहा कि, ‘देश को असली खतरा नकली हिंदुत्ववादियों से है। ये लोग चुनाव आते हैं तो एक भी मौका नहीं छोड़ते कि कहीं ना कहीं दंगा हो जाए, माहौल बन जाए। दशहरा रैली में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इन नकली हिंदुत्ववादियों से सावधान रहने को कहा है।’
साथ ही राउत ने कहा, ‘जी हां, इस राज्य का हर नागरिक मुख्यमंत्री है। ये लोकतंत्र की जीत है, जिस तरह राज्य के हर व्यक्ति को लगता है कि मैं मुख्यमंत्री हूं, उसी तरह हर मंत्री और विधायक को भी लगना चाहिए कि वे मुख्यमंत्री हैं। मोदी जी के मंत्रिमंडल में किसी मंत्री को नहीं लगता कि मैं मंत्री हूं, किसी सांसद को नहीं लगता कि मैं सांसद हूं।’
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गौरतलब है कि कल महाराष्ट्र भाजपा की कार्यकारिणी सभा में देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना पर हमले करते हुए कहा था कि अमरावती, नांदेड़ और मालेगांव की हिंसा एक सोच विचार कर किया गया प्रयोग है। ठाकरे सरकार इसमें सहभागी है। हिंदुओं की दुकानों में तोड़-फोड़ की गईं, लेकिन शिवसेना अजान करने की होड़ में है। प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने भी कहा था कि बालासाहब ठाकरे वाली शिवसेना अब नहीं रही। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि 24 कैरेट शिवसेना अब नहीं रही।
वहीं देवेंद्र फडणवीस ने अपने भाषण में कहा था कि इस राज्य में मुख्यमंत्री है कि नहीं, पता ही नहीं चलता। मंत्रिमंडल का हर सदस्य अपने आप को मुख्यमंत्री समझता है। मुख्यमंत्री की कोई नहीं सुनता है।