आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कारगिल युद्ध विषम परिस्थितियों में लड़ा गया था। यह युद्ध मई, 1999 में प्रारम्भ हुआ और अन्ततः घुसपैठिए पाकिस्तानी सैनिकों को भारत की धरती से खदेड़ने में सफलता प्राप्त हुई थी। वैश्विक मंच पर भारत की सैन्य ताकत का एहसास पूरी दुनिया ने किया था।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लखनऊ स्थित कारगिल शहीद स्मृति वाटिका में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर कही। साथ ही कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान, इसके पूर्व के सभी युद्धों और इसके उपरान्त भी देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले भारत माता के वीर सपूतों ने मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों से देश की निरंतर सेवा की।
सीएम ने प्रदेशवासियों को कारगिल विजय दिवस की बधाई देते हुए कहा कि देश की आन्तरिक और वाह्य सुरक्षा के लिए भारत माता के जवानों का अमूल्य बलिदान हम सभी के लिए अविस्मरणीय और पूरे राष्ट्र के लिए अभिनंदनीय है। विगत छह वर्षों से प्रदेश सरकार ने शहीदों के परिवारजनों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करते हुए देश की आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा में बलिदान हुए जवानों के परिजनों को 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता, परिवार के एक सदस्य को उत्तर प्रदेश शासन में सेवा का अवसर और शहीद के नाम पर किसी मार्ग या संस्था का नामकरण करने की व्यवस्था की है।
कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के नाम पर देश के पहले सैनिक स्कूल का नामकरण किया गया है। यदि हम सभी अपने-अपने क्षेत्र में नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए कार्य करेंगे, तो प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप वर्ष 2047 में भारत दुनिया की एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित हो जाएगा।
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इसके पूर्व, मुख्यमंत्री ने कारगिल शहीद वाटिका में शहीदों की प्रतिमाओं पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद हुए लखनऊ के कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय, कैप्टन आदित्य मिश्र, मेजर रितेश शर्मा, लांस नायक केवलानन्द द्विवेदी और लांस नायक सुनील जंग के परिजनों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।