केजरीवाल ने कहा धृतराष्‍ट्र बना चुनाव आयोग, दुर्योधन को लाना चाहता है सत्‍ता में

हिंदू संस्कृति
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम।

देश में विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद से ही ईवीएम में गड़बड़ी होने की आशंका जताने वाले दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सब्र का बांध आज टूट गया। उन्‍होंने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही जमकर अपना गुस्‍सा निकला।

यह भी पढ़े- केजरीवाल ने उठाए EVM पर सवाल, कहा AAP के वोट बीजेपी-अकाली को हुए ट्रांसफर

केजरीवाल ने कहा कि चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया है, जो अपने बेटे दुर्योधन को साम, दाम, दंड, भेद करके सत्ता में पहुंचाना चाहता है। उन्‍होंने चुनाव आयोग पर भारतीय जनता पार्टी को चुनाव जिताने में मदद करने का आरोप लगाया है।

बार-बार चुनाव आयोग ठुकरा रहा है जांच की मांग

मुख्‍यमंत्री ने राजस्थान के धौलपुर उप चुनाव में रविवार को 18 ईवीएम की गड़बड़ी का जिक्र करते हुये कहा कि एक के बाद एक सभी घटनाओं में खराब मशीनों से सिर्फ भाजपा को वोट पड़ने की बात शक को पुख्ता करती है। हम बार-बार चुनाव आयोग से जांच कराने की मांग कर रहे है। लेकिन आयोग हर बार विपक्षी दलों की मांग ठुकरा दे रहा है।

यह भी पढ़े- मायावती ने लगाए गंभीर आरोप, ‘कहा बैलेट पेपर से हो दोबारा चुनाव’

अयोग्‍य ईवीएम को मंगवाया जा रहा

दिल्‍ली के सीएम ने कहा कि चुनाव आयोग ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में राजस्थान से पहली पीढ़ी की साल 2006 से पहले निर्मित ईवीएम को मतदान के लिये मंगाया है, जबकि इन मशीनों को गड़बड़ी के लिहाज से आयोग्य घोषित किया जा चुका है।

यह भी पढ़े- EVM: चुनाव आयोग के जवाब से असंतुष्ट मायावती जाएंगी कोर्ट

उन्होंने दिल्ली में तीसरी पीढ़ी की ईवीएम मौजूद होने के बावजूद राजस्थान से पुरानी मशीनें निगम चुनाव के लिये मंगाने का हवाला देते हुए चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाया।

भाजपा को ही जिताना है तो चुनाव का प्रपंच क्‍यों

केजरीवाल ने इसमें साजिश की आशंका जताते हुये कहा कि चुनाव आयोग का मकसद अगर भाजपा को चुनाव जिताना ही है तो फिर चुनाव कराने का प्रपंच करने की क्या जरूरत है।

केजरीवाल ने कहा कि ईवीएम की प्रोग्रामिंग में छेड़छाड़ कर सिर्फ भाजपा के पक्ष में मतदान सुनिश्चित करने की आशंकाओं के बीच चुनाव आयोग को अब बिना चुनाव कराये भाजपा को विजेता घोषित कर देना चाहिये। इसके बाद जनता खुद तय कर लेगी कि उसे आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना है या भाजपा की सत्ता स्वीकार करना है।