आरयू वेब टीम। खालिस्तानी समर्थकों की धमकी के बीच विदेश मंत्रालय ने कनाडा यात्रा करने वालों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि कनाडा में बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों, घृणा से जुड़े अपराधों और आपराधिक हिंसा को देखते हुए वहां मौजूद सभी भारतीय नागरिकों और यात्रा पर विचार करने वाले लोगों से अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया जाता है।
इसके पूर्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया। जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि हाल ही में खतरों ने विशेष रूप से भारतीय राजनयिकों और भारत विरोधी एजेंडे का विरोध करने वाले भारतीयों के वर्गों को निशाना बनाया गया है, इसलिए भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे कनाडा के उन क्षेत्रों और संभावित स्थानों की यात्रा करने से बचें जहां ऐसी घटनाएं देखी गई हैं।
इस बीच, खालिस्तानी संगठनों ने 25 सितंबर को कनाडा में भारतीय उच्चायोग और उसके दूसरे दफ्तरों पर हमला करने धमकी दी है। इससे जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें और बढ़ती दिख रही है। यह जस्टिन ट्रूडो की अग्निपरीक्षा मानी जा रही है। अगर भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा में कनाडा की ओर से लापरवाही बरती गई तो फिर भारत के तरफ से एक्शन दिख सकता है।
विदेश मंत्री ने पीएम मोदी के साथ की बैठक
ट्रूडो की टिप्पणी के बाद, भारत और कनाडा ने एक-एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया है! इस निष्कासन के दूसरे दिन ही विदेश मंत्री और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात हुई।
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बता दें कि 45 वर्षीय निज्जर एक भारतीय आतंकवादी और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी हत्या कर दी गई थी। वह भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था, जिस पर दस लाख नकद इनाम रखा गया था। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच ट्रूडो ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि वह भारत को “उकसाने” के बारे में नहीं सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार के पास “विश्वसनीय आरोप” हैं कि जून में कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भारत सरकार के एजेंटों का हाथ है। दरअसल नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच यह मुद्दा उठाए जाने के तुरंत बाद राजनयिक विवाद सामने आया है।