राजधानी में किसानों की हुंकार से पहले कई शहरों में इंटरनेट बंद, बॉर्डर सील व धारा 144 लागू

आरयू वेब टीम। किसान आंदोलन की आहट को लेकर हरियाणा में लगातार पाबंदियां बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ जहां हरियाणा सरकार की तरफ से प्रदेश के सात जिलों अंबाला,जींद, कुरूक्षेत्र, हिसार, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिले में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। तो वहीं अब चंडीगढ़ से सटे पंचकुला में धारा 144 लागू कर दी गई है।

पंचकुला डीसीपी सुमेर सिंह प्रताप ने कहा कि पैदल या ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ जुलूस, प्रदर्शन, मार्च पास्ट निकालने और किसी भी तरह की लाठी, रॉड या हथियार ले जाने पर रोक लगाया गया है। किसान संगठनों के 13 फरवरी को दिल्ली कूच के ऐलान के बाद राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने से रोकने के लिए पंजाब-हरियाणा सीमा क्षेत्रों पर सुरक्षा बढ़ाई गई है।

किसानों के प्रदर्शन से पहले पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू बाॅर्डर भी सील कर दिया गया है। सीमा पर भारी संख्‍या में पुलिस बल के अलावा बीएसएफ और आरएएफ के जवान भी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा कई जगाहों की सड़कों पर बड़ी कीलें, तार व आरसीसी के बोल्‍डर भी रखकर रास्‍तों को ब्‍लॉक किया जा चुका है।

वही एक आदेश के अनुसार, 11 फरवरी को सुबह छह बजे से 13 फरवरी को रात 11.30 बजे तक अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी। बॉर्डर को सील करने के साथ-साथ ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गई है।

वहीं डीसीपी अंबाला अर्शदीप सिंह ने बताया, “किसान आंदोलन की वजह से पुलिस ने शंभू बॉर्डर सील कर दिया है। जब किसान यहां आएंगे तो हम उनसे अनुरोध करेंगे कि वे इससे आगे ना जाएं। उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली है। हम चाहते हैं कि वे आंदोलन को शांतिपूर्ण खत्म करके यहां से चले जाएं।

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हरियाणा पुलिस की तरफ से पंजाब और हरियाणा के प्रमुख मार्गों पर संभावित यातायात व्यवधान की आशंका को देखते ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गई है, हालांकि राज्य में अन्य सभी मार्गों पर यातायात की आवाजाही जारी रहेगी। ऐसे में प्रशासन ने जनता से अपील करते हुए कहा कि वे इस दौरान अनावश्यक रूप से ना निकले यदि संभव हो तो यात्रा करने से बचें। वहीं पिहोवा के गांव ट्यूकर में हरियाणा पंजाब बॉर्डर को प्रशासन ने सील कर दिया है।

ये है किसानों की मांग

एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, कृषि ऋण माफी, किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेना, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय किसानों की मुख्य मांगें है, जिसको लेकर हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कई किसान संगठनों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

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