आरयू ब्यूरो,लखनऊ। लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शुक्रवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत अर्जी पर बहस पूरी हो गई। इसके बाद जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। डेढ घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान अभियुक्त पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बहस की।
बहस के दौरान अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि अभियोजन का दावा है कि थार गाड़ी में आशीष मिश्रा मौजूद था। आशीष मिश्रा ने ही ड्राइवर को भीड़ पर गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया था, जबकि अभियोजन का कोई भी गवाह थार गाड़ी में मौजूद नहीं था। घटनास्थल पर गाड़ियों के सायरन की आवाज और लोगों के जमावड़े की वजह से बहुत शोर था। ऐसे में ये विश्वास नहीं किया जा सकता है कि अभियोजन के किसी गवाह ने अभियुक्त को अपने ड्राइवर को गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाते हुए सुना हो।
साथ ही ये भी कहा गया है कि वास्तव में घटना के वक्त आशीष मिश्रा दंगल में मौजूद था। वहीं ये भी दावा किया कि 197 स्थानीय लोगों ने बकाएदा शपथ पत्र देकर इस बात की पुष्टि जांच एजेंसी के समक्ष की है। इसके पूर्व पीड़ित पक्ष व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने बहस की। उनकी दलील मुख्य तौर पर गवाहों के बयानों पर केंद्रित रही।
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ये भी कहा कि गवाहों के बयान में ये बात सामने आई है कि घटना के वक्त आशीष मिश्रा मौजूद था। वह अपनी थार गाड़ी से फायरिंग कर रहा था। यह भी दलील दी गई है कि जिस टैक्सी से सह अभियुक्त अंकित दास खीरी से निकला था। उस टैक्सी ड्राइवर ने भी बयान दिया है कि रास्ते में अंकित दास घटना के बारे में फोन पर बात कर रहा था। उक्त बातचीत से आशीष मिश्रा पर लगे आरोपों की पुष्टि होती।