आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सपा, बसपा व रालोद का गठबंधन टूटने के बाद बुधवार को अखिलेश यादव ने एक बार फिर इस मुद्दे पर मीडिया से बात की है। आज ईद के मौके पर ईदगाह में लोगों को बधाई देने पहुंचे अखिलेश ने गठबंधन के टूटने को एक प्रयोग के तौर पर बताया है। मीडिया से बात करते हुए सपा अध्यक्ष ने कहा कि मैसूर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की है, साइंस का स्टूडेंट रहा हूं, प्रयोग होता है कई बार सफलता नहीं मिलती, लेकिन कमी पता लग जाती है।
यह भी पढ़ें- जीरो से दस पर पहुंचीं मायावती ने अखिलेश से किया किनारा, BSP नेताओं से कहा, विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ने की करें तैयारी
वहीं बसपा सुप्रीमो को लेकर अखिलेश ने कहा कि मायावती के लिए जो मैंने पहले दिन प्रेसवार्ता में कहा था कि मेरा सम्मान उनका सम्मान होगा, मैं आज भी वही बात कहता हूं। यूपी के पूर्व सीएम ने आगे कहा कि जहां तक सवाल गठबंधन का है, अकेले चुनाव लड़ने का है, अब रास्ता राजनीत में खुला है। यूपी में होने वाले 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के बारे में अखिलेश ने कहा कि हम उपचुनाव में अकेले लड़ रहे हैं, तो पार्टी के सभी नेताओं से राय लेकर आने वाले समय की रणनीति के लिए काम करेंगे।
यह भी पढ़ें- मायावती ने खुलकर किया उपचुनाव अकेले लड़ने का ऐलान, गठबंधन के लिए बताई शर्त, अखिलेश-डिंपल के लिए भी कही ये खास बातें
वहीं सपा अध्यक्ष ने साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए कहा कि 2022 में समाजवादी लोगों का आगे आना जरूरी है, क्योंकि जनता को इसकी जरूरत है। हमारा संविधान कहता है कि ये देश लोकतांत्रिक हो, सेक्युलर हो, सोशलिस्ट हो, क्योंकि हमें कही न कही लोकतंत्र में राजनीतिक बराबरी का मौका मिलता है।
यह भी पढ़ें- मायावती के ऐलान के बाद अखिलेश ने तोड़ी चुप्पी, कहा 11 विधानसभा सीटों पर लड़ेंगे अकेले चुनाव
अब जनता सोचेगी अमीर और अमीर, जबकि गरीब और गरीब कैसे हो गया
यूपी के पूर्व सीएम ने आगे कहा कि सेक्यूलेरिज्म में जहां लोग कह रहें है कि सभी धर्म एक से है सभी धर्मों का रास्ता एक सा है, तो धर्मनिरपेक्षता में हमे मौका मिलता है कि हम सभी धर्मों को मानें, वहीं समाजवाद की इसलिए जरूरत है कि आज दुनिया इस तरफ मुड़ रही है। आज लोगों में जो खाई पैदा हो रही, अमीर और अमीर जबकि गरीब और गरीब होता जा रहा है। इसे रोकने के लिए भी समाजवाद की आवश्यकता है। वहीं अखिलेश ने हंसते हुए आगे कहा कि हालांकि अमीरी और गरीबी चुनावी मुद्दे नहीं थे, इसलिए मैं समझता हूं कि अब जनता सोचेगी आखिकर अमीर कितना अमीर हो गया, जबकि गरीब और गरीब कैसे होता जा रहा है। शायद भविष्य में यहीं मुद्दे कामयाब होंगे।