आरयू वेब टीम। नागालैंड गोलीबारी मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि भारतीय सेना को नागालैंड के मोन जिले में उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। इसके आधार पर सेना के 21 पैरा कमांडो के एक दस्ते ने चार दिसंबर को संदिग्ध क्षेत्र में एम्बुश लगाया गया था। इस दौरान एक वाहन एम्बुश के स्थान के समीप पहुंचा जिसे रुकने का इशारा किया गया था लेकिन वो रुकने के स्थान पर तेजी से निकलने की कोशिश की।
गृह मंत्री ने बताया कि आशंका के आधार पर वाहन में गोलियां चलाई गई। जिसकी वजह से आठ व्यक्तियों में से छह की मौत हो गई। बाद में यह गलत पहचान का मामला पाया गया। वहीं दो घायलों को सेना द्वारा ही इलाज हेतु नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लाया गया।
ये सूचना प्राप्त होने के बाद स्थानीय लोगों ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया और वाहनों को जला दिया और हमला किया। इसके परिणामस्वरूप सुरक्षाबलों के एक जवान की मौत हो गई और कई जख्मी हो गए। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलानी पड़ी। जिसकी वजह से सात और लोगों की मौत हो गई तथा कुछ अन्य घायल हो गए।
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गृह मंत्री ने बताया कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की है। अभी स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बनी हुई है। पुलिस महानिदेशक नागालैंड और आयुक्त नागालैंड ने पांच दिसंबर को घटनास्थल का दौरा किया है। इसके साथ ही पुलिस स्टेशन में प्राथिमिकी दर्ज की गई है और मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इसे राज्य अपराध पुलिस स्टेशन को जांच के लिए सौंप दिया गया है। इस संदर्भ में एसआईटी का गठन किया गया है। जिसे एक माह के भीतर जांच को पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
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