लखनऊ जू पहुंची सैण्‍ड स्‍टार फिश, एनीमोन व नीली डैमासेल, जानें इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

सैण्ड स्टार फिश
लखनऊ जू के मछलीघर में स्टार फिश।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। लखनऊ जू में दर्शकों का रोमांच बढ़ाने के लिए गुरुवार को मछलीघर के समुद्री एक्‍वेरियम में तीन सैण्ड स्टार फिश के अलावा दो नए रंग के एनीमोन व नीली डैमासेल मछली रखी गयी है। आज पहले ही दिन इन्‍हें देखने के लिए दर्शकों में काफी उत्‍साह रहा।

सैण्‍ड स्‍टार फिश

सैण्ड स्टार फिश के बारे में जानकारी देते हुए प्राणि उद्यान के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि स्‍टार फिश असल में मछली न होकर एनीमल है, जिन्हें अकेषेरूकी भी कहा जाता है। साथ ही तीन नयी स्टार फिश मिलने के बाद अब जू में कुल छह स्टार फिश हो गयी हैं।

आरके सिंह ने बताया कि सैण्ड स्टार फिश बहुत ही आक्रामक होती है, कभी-कभी यह जिंदा मछली को भी पकड़कर खा जाती है। इनकी अधिकतम आयु दस साल होती है और इनका मुख्य मोजन माइक्रो एलमी है। यह समुद्री तल पर मरे जीव, मछली इत्यादि खाकर पानी को साफ रखती हैं। चीन सहित कई देशों में इसे लोग खाते भी हैं।

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सैण्‍ड स्‍टार फिश

वहीं एनीमोन के बारे में जानकारी देते हुए आरके सिंह ने बताया कि अब मछलीघर के एक्वेरियम में तीन एनीमोन मछली हो गयी हैं। समुद्री जल में रहने वाली यह एनीमोन मरीन जीव हैं। यह मछली की श्रेणी में न होकर एनीमल की श्रेणी में आती हैं। फूल जैसी दिखने वाली एनीमोन बहुत ही खतरनाक और जहरीले होते हैं। यदि कोई मछली इनके करीब आ जाये तो उसे अपनी ओर खींच लेती है और पलक झपकते ही खा जाते हैं। इन्हें सप्ताह में दो बार मरी मछली खाने को दी जाती है। इनके नाक, कान, आंख नहीं होती है। साथ ही इनकी गति बहुत ही धीमी होती है। ऐसे जीव विशेषकर छात्र-छात्राओं को तेजी से अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

सैण्‍ड स्‍टार फिश

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इसके अलावा आज जू लायी गयी ब्लू डैमसिल की समुद्री दुनिया में नीले रंग की बस कुछ गिनी-चुनी प्रजाति है। जिसमें इण्डियन ओशियन की गर्म जलधारा में पायी जाने वाली यलो टेल ब्लू डैमसिल आज मछलीघर में रखी गयी है। नीले रंग की होने के कारण यह बहुत ही आकर्षक होती है। ये न सिर्फ झुंड बनाकर शिकार करतीं हैं बल्कि बहुत ही छोटे जीव को पकड़ कर खाती है।

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