आरयू संवाददाता, लखनऊ। बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए लखनऊ जू में एहतियात बरता जा रहा। शनिवार को जू प्रशासन ने पक्षियों से लेकर जानवरों तक के केज में सैनिटाइजेशन करवाया। साथ ही बर्ड फ्लू से बचाव से संबंधित अन्य जरूरी उपाय भी जू में शुरू कर दिए गए। विशेष रूप से पक्षियों पर निगाह रखी जा रही। साथ ही जू के कर्मचारियों की ओर से अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सफाई और दवाओं के छिड़काव का कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में उप निदेशक उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि निर्देशित सभी निवारक उपायों का पालन कर रहे हैं।
प्राणि उद्यान के चिकित्सक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि लखनऊ में अभी इस तरह का कोई मामला नहीं आया है। इसके बावजूद चिड़ियाघर प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है, जिससे पक्षियों और यहां सैर करने आने वाले लोगों को सुरक्षित रखा जाए। ऐसे में बाहर से कोई भी चिड़िया बिना अनुमति के प्राणि उद्यान में नहीं लाई जाएगी। सभी बाड़ों को समय-समय पर सैनिटाइज किया जा रहा।
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इसके अलावा स्टाफ बर्ड फ्लू किट का उपयोग कर रहा है। लोगों के लिए मुख्य द्वार पर फुटबाथ की व्यवस्था की गई है, जिसमें कैमिकल मिला होता है। जब लोग उसके ऊपर पांव रखकर गुजरते हैं तो उनके जूते सैनिटाइज हो जाते हैं। इससे इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। वहीं बाघ और अन्य जानवरों के बाड़ों में भी सफाई कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा। कर्मचारियों की ओर से हर दिन दवाओं का छिड़काव हो रहा है। साथ ही जू में मौजूद पेड़-पौधों पर घोसला बनाकर रह रहे पक्षियों पर भी निगरानी की जा रही है। जू प्रबंधन ने आशंका जताई है कि जू में पिंजरे के बाहर रहने वाले पक्षियों से भी संक्रमण फैल सकता है।
उत्कर्ष शुक्ला ने ये भी बताया कि कुछ मांसाहारी पक्षी जैसे बाज, उल्लू, चील आदि को पहले खाने में पोल्ट्री चिकेन दिया जाता था। अब उन्हें मुख्य खाने के रूप में बकरे का मांस दिया जा रहा है। पक्षियों का खाना एक बार में नहीं बदल सकते, इसलिए पहले उन्हें बकरे के मांस की आदत लगाई जा रही है। फिर पूर्ण रूप से उन्हें यही मांस दिया जाएगा। इसके अलावा मोर, तोता, फिंच, डांग, पेलिकन, सिल्वर पीजेंट, पहाड़ी मैना आदि के खाने में भी हल्के बदलाव किए गए हैं।