आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। राम जन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार महंत भास्कर दास का लंबी बीमारी के बाद 89 साल की उम्र में आज अयोध्या में निधन हो गया। उन्होंने भोर में करीब चार बजे हर्षण हृदय संस्थान में अंतिम सांस ली। भास्कर दास निर्मोही अखाड़ा के महंत थे और रामजन्म भूमि मामले के अहम पक्षकार थे।
बीते मंगलवार को महंत को सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक के बाद देवकाली स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तभी से उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। देर रात हालत और बिगड़ने के बाद उन्होंने करीब चार बजे भोर में अंतिम सांस ली। उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है, बाद में सरयू तट के तुलसीघाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा।
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महंत भाष्कर दास का जन्म गोरखपुर रानीडीह गांव में 1929 को हुआ था। भास्कर दास जब 16 साल की उम्र के थे, तभी वे हनुमान गढ़ी मंदिर से धार्मिक शिक्षा के लिए जुड़ गए। वे महंत बलदेव दास निर्मोही अखाड़ा के शिष्य बने थे। बाद में उन्हें राम चबूतरे पर बिठा दिया गया और पुजारी नियुक्त किया गया।
उन्हें 1993 में महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच बन गए थे। फिर 1993 में ही सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर इन्हें निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया। 1949 में वह राम जन्म भूमि बनाम बाबरी मस्जिद केस से जुड़े।