आरयू संवाददाता,
पीजीआइ। राम मंदिर निर्माण के लिए अनशन कर रहे अयोध्या के महंत परमहंस दास ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ दिया। एसजीपीआइ के आइसीयू में भर्ती महंत ने डॉक्टरों के समझाने पर निदेशक प्रो. राकेश कपूर के हाथों फलों का जूस पीकर अनशन समाप्त किया। जिसके बाद उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ, हालांकि सावधानी के लिए अभी उन्हें आईसीयू में ही रखा गया है।
दूसरी ओर आज महंत से मिलने एसजीपीआइ पहुंचें विश्व हिंदू परिषद के नेता डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने डॉक्टरों द्वारा महंत से मुलाकात नहीं कराए जाने पर भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर अपना गुस्सा निकाला।
मीडिया से बात करते हुए प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि सरकार को डर है कि महंत अपने पर हुए अत्याचारों को किसी को बता न दें, इसलिए उन्हें मिलने से रोका गया। विहिप नेता ने कहा कि वो खुद कैंसर सर्जन हैं, महंत परमहंस से मुलाकात होने पर वो कुछ बेहतर ही राय देते, लेकिन उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया।
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भाजपा सरकार की बात करते हुए प्रवीण तोगड़िया बोले कि यह रामभक्तों की सरकार है। रामभक्तों ने अपने खून-पसीने से सरकार बनायी और यह सरकार उन्हें एक महंत से मिलने से रोक रही है। जबकि 32 सालों से संसद में राम मंदिर के कानून की बात मोदी और योगी जी करते रहें, लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद अब ये बात परमहंस जी कर रहे, तो वो गुनाहगार हो गए। परमहंस जी को घसीटकर भर्ती कराया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि एक परमहंस की आवाज दबाई जाएगी तो राम मंदिर के लिए सौ करोड़ हिंदूओं की आवाज उठेगी। वहीं पीएम से संबंधित एक सवाल पर प्रवीण तोगड़िया बोले कि प्रधानमंत्री को इंदौर की मस्जिद से मोहब्बत करने से फुर्सत नहीं है, जबकि वोट राम मंदिर के नाम पर मांगा गया था।
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वहीं इस बारे में निदेशक राकेश कपूर ने बताया कि महंत परमहंस दास ने सेहत की गंभीरता को समझते हुए अनशन तोड़ दिया है। साथ ही वो इलाज के लिए तैयार हो गए हैं। प्रवीण तोगड़िया के रोके जाने पर राकेश कपूर का कहना था कि उन्हें किसी राजनीतिक वजह से नहीं रोका गया, बल्कि आइसीयू वार्ड में भर्ती 16 अन्य मरीजों की सेहत को देखते हुए रोका गया था।
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बताते चलें कि राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में अनशन पर बैठे महंत परमहंस दास का जबरन वहां से उठाकर रविवार रात करीब दो बजे एसजीपीजीआई के क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था।
जहां सोमवार शाम उन्हें ड्रिप लगाई गई थी, हालांकि उससे पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही थी। जिसके बाद आज डॉक्टरों ने अनशन नहीं तोड़ने के नुकसान को विस्तार से उन्हें बताते अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया था, जिसे वो मान गए।
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