आरयू वेब टीम। महाराष्ट्र में आज से सभी धार्मिक स्थल दोबारा खुल गए हैं। राज्य सरकार ने इस बात का ऐलान किया है। इसके लिए सरकार ने जारी गाइडलाइन में कहा कि मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके इलावा लोगों को कोविड-19 से जुड़े नियमों का पालन करना होगा।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स के अनुसार, श्रद्धालुओं को मंदिरों में मास्क पहनकर ही जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालुओं के बीच की दूरी कम-से-कम छह फीट होनी चाहिए। 65 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं, दस साल से कम उम्र के बच्चे और वो व्यक्ति, जिनको कोई अन्य बीमारी हो, उन्हें घर पर ही रहने को कहा गया है। इसके साथ ही सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करना अनिवार्य है। अगर सैनिटाइजर ना हो तो साबुन या हैंडवॉश से भी हाथ धोने को कहा गया है।
गाइडलाइन के तहत गेट पर हैंड सैनिटाइजर और स्क्रीनिंग की व्यवस्था, किसी भी व्यक्ति को मंदिर परिसर में बिना मास्क पहने घुसने नहीं दिया जाना, लोगों को मास्क पहनकर रहने और समय-समय पर हाथ धोते रहने के लिए जागरूक करना, श्रद्धालुओं के मंदिर परिसर में आने से पहले अपने जूते-चप्पलों को बाहर छोड़कर आने जैसे गाइडलाइन शामिल हैं। गाइडलाइन्स का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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गौरतलब है कि मंदिर खोले जाने के मुद्दे पर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया था। इसे लेकर राज्यपाल ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। राज्यपाल ने उद्धव को लिखे अपने पत्र में शिवसेना पर हिंदुत्व को लेकर तंज किया था। राज्यपाल के इस पत्र के बाद इस मसले ने सियासी रंग ले लिया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राज्यपाल के पत्र की भाषा पर ऐतराज जताया है।
वहीं राज्य सरकार की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसपीओ) के तहत, निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर स्थित धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दी जाएगी और इन स्थलों को खोलने के समय के बारे में अधिकारी निर्णय करेंगे। दीपावली की लोगों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने एक बयान में कहा था, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना वायरस रूपी दैत्य आज भी हमारे बीच है, यद्यपि यह दानव अब धीरे-धीरे खामोश हो रहा है, लेकिन हम ढिलाई नहीं बरत सकते। लोगों को अनुशासन का पालन करने की जरूरत है।’’