आरयू वेब टीम। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कोलकाता हाई कोर्ट से गुरुवार को झटका दिया है। हाई कोर्ट ने विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि सीबीआइ अदालत की निगरानी में ही जांच करेगी। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि हत्या और दुष्कर्म के मामलों की जांच सीबीआइ करेगी, वहीं अन्य मामलों की जांच एसआइटी करेगी। एसआइटी जांच के लिए बंगाल कैडर के वरिष्ठ अधिकारी टीम के हिस्सा होंगे।
यह फैसला गरुवार को कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की निष्पक्ष जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया। अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच का यह फैसला कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ही इसी पीठ ने जांच समिति गठित करने के आदेश दिए थे। अदालती आदेश पर गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में चुनाब बाद हिंसा के लिए ममता सरकार को दोषी करार देते हुए सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी।
यह भी पढ़ें- तीसरी बार पश्चिम बंगाल के सीएम पद की शपथ लेकर बोलीं ममता बनर्जी, हिंसा नहीं की जाएगी बर्दाशत
लूम हो कि दो मई को संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के बड़े दावों से इतर जीत हासिल कर टीएमसी के बैनर तले ममता बनर्जी तीसरी बार सीएम बनी थीं। उनके सीएम बनते ही राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हिंसा की खबरें आने लगी। सैकड़ों की तादाद में भाजपा कार्यकर्ता असम भागकर पहुंचे थे। इसके बाद ममता सरकार के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग उठने लगी, जिसे ममता सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया।
यह भी पढ़ें- खड़गपुर की रैली में बोले PM मोदी, पश्चिम बंगाल में खेला खत्म, अब होबे विकास
इससे पहले तीन अगस्त को उच्च न्यायालय ने मामले से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर एनएचआरसी की सात सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की थी। साथ ही समिति ने यह भी सुझाव दिया था कि इन मामलों की सुनवाई पश्चिम बंगाल के बाहर होनी चाहिए।