आरयू वेब टीम। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल डिप्टी सीएम के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तारी और सीबीआइ जांच के तरीके को चुनौती देने कि याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है। साथ ही इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपके पास सीधा यहां आने के बजाए अन्य उपाय भी हैं, आप हाई कोर्ट भी जा सकते हैं। आप यह सारी बातें दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष क्यों नहीं रखते?
सुनवाई करते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, कोई घटना दिल्ली में हो रही है, इसका मतलब ये नहीं कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट चले आएंगे। सीजेआइ ने कहा कि इस तरह से रोजाना यहां सौ मामले आने लगेंगे। सिंघवी ने कहा कि अधिकारों का मसला है। सीजेआइ ने कहा कि हाई कोर्ट समान रूप से ऐसे मामले में सुनवाई को सक्षम है। वहीं सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआइ ने सिंघवी से पूछा कि आपने एफआईआर और जांच को अनुच्छेद 32 में चुनौती दी है। इस पर सिंघवी ने विनोद दुआ और अर्नब गोस्वामी मामले का हवाला दिया। सीजेआई ने कहा वो दोनों पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मामले थे। यहां स्थितियां अलग हैं।
सिंघवी ने कहा कि सिर्फ दो बार उप मुख्यमंत्री को बुलाया। गिरफ्तारी पूरी तरह से गैरकानूनी है। जांच एजेंसी ने गिरफ्तारी की जरूरत पर जोर दिया, जबकि समन रिसीव किए गए और मेरे मुवक्किल कहीं भागने वाले नहीं थे। यह फैसला मेरे मुवक्किल ने अकेले नहीं लिया था।
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सीजेआइ ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत इस मामले में याचिका नहीं बनती है। हम याचिका खारिज कर रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि मुझे थोड़ी देर सुन लीजिए कि कैसे यह मामला अनुच्छेद 32 के तहत आता है। इसके बाद सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के पांच फैसलों का हवाला भी दिया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है।