शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया को कोर्ट ने पांच दिन की CBI रिमांड पर भेजा

सीबीआइ कोर्ट रिमांड

आरयू वेब टीम। आबकारी नीति केस में दिल्‍ली के डिप्‍टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआइ कोर्ट ने चार मार्च तक रिमांड पर भेज दिया है। इस मामले में पांच दिन की रिमांड सीबीआइ ने मांगी थी जो उसे मिल गई है। सीबीआइ मनीष सिसोदिया को लेकर अपने मुख्‍यालय पहुंच गई है। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सीबीआइ और सिसोदिया के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कुछ देर के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआइ ने अदालत से आम आदमी पार्टी के नेता को पांच दिनों की हिरासत में उसे सौंपने का अनुरोध किया था।

सीबीआइ ने 2021-22 की आबकारी नीति (अब रद्द की जा चुकी) को लागू करने में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में रविवार शाम सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। सीबीआइ ने कोर्ट में कहा कि शराब नीति घोटाला मामले की एफआईआर में मनीष सिसोदिया आरोपित नंबर वन हैं। जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि गिरफ्तार किये गए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि आबकारी नीति मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन जांच से पता चलता है कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर फैसला किया। सीबीआइ ने अदालत से कहा कि पूछताछ के लिये उसे सिसोदिया की हिरासत की आवश्यकता है।

सिसोदिया को सीबीआइ ने सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था। इस दौरान सीबीआई ने पांच दिन की हिरासत की मांग की, जबकि मनीष सिसोदिया के वकील ने कहा कि सीबीआई ने जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया, वो भी तब, जब दिल्ली में बजट पेश करने की तैयारी की जा रही थी। उन्होंने सीबीआइ से समय मांगा और कल पूछताछ के लिए गए। सिसोदिया को कल यानि रविवार को कथित आबकारी घोटाले मामले में गिरफ्तार किया था।

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सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया ने शराब घोटाले में आपराधिक साजिश रची और सबूतों को मिटाने की भी कोशिश की। उन्हें गिरफ्तार करके सीबीआइ हेडक्वार्टर में ही रखा गया। यहीं पर डॉक्टरों की टीम बुलाकर उनका मेडिकल चेकअप भी कराया गया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान सिसोदिया के तीसरे वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा, “सीबीआइ उस फैसले की जांच करनी चाहती है, जो चुनी हुई सरकार की कैबिनेट ने किया था। ऐसा नहीं हो सकता, मैं दिल्ली का वित्त मंत्री हूं। आप टाइमिंग देखिये। वित्त मंत्री को आप तब गिरफ्तार कर रहे हैं, जब उनको बजट पेश करना है। पब्लिक सर्वेंट को गिरफ्तार ने से पहले सक्षम अथॉरिटी से मंजूरी लेनी चाहिए थी।”

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