वोटिंग से पहले जनता को पत्र लिख मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मोदी सरकार ने पंजाब-पंजाबियत को बदनाम करने में नहीं छोड़ी कसर’

मनमोहन सिंह
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंजाब समेत अन्‍य राज्‍यों में एक जून को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने पिछले दस साल में पंजाब और पंजाबियत को “बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है”। पूर्व प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों के नाम पंजाबी में लिखे एक लेटर में यह बात कही है।

लेटर को कांग्रेस ने गुरुवार को अपने एक्स हैंडल पर साझा किया। मनमोहन सिंह ने इस लेटर में लिखा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि इस चुनाव के दौरान उनकी तरफ से “सबसे निम्न स्तर के द्वेषपूर्ण भाषण” देखने को मिले हैं। साथ ही कहा “पिछले दस साल में, भाजपा सरकार ने पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक इंतजार करते हुए शहीद हो गए।

लाठी और रबर की गोलियों से भी मन नहीं भरा तो…

इतना ही नहीं जब लाठी और रबर की गोलियों से भी मन नहीं भरा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में हमारे किसानों को ‘आंदोलन जीवी’ और ‘परजीवी’ कहकर उनका अपमान किया। किसानों की सिर्फ यही मांग थी कि उनसे चर्चा किए बिना उन पर थोपे गए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।” पत्र में उन्होंने कहा कि, “पंजाबी योद्धा हैं। हमें हमारी बलिदान भावना के लिए जाना जाता है। हमारा अदम्य साहस, और समावेशन तथा भाईचारे के लोकतांत्रिक मूल्यों में अटूट विश्वास हमारे महान राष्ट्र को सुरक्षित रख सकता है।”

अपनी पार्टी की गारंटी के बारे में बात करते हुए पूर्व पीएम ने कहा, “कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में किसान न्याय के तहत पांच गारंटी हैं। इनमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, कृषि के लिए स्थिर आयात-निर्यात नीति, ऋण माफी के लिए कृषि वित्त पोषण पर स्थाई आयोग का गठन, फसल को नुकसान की स्थिति में 30 दिन के भीतर किसान के खाते में मुआवजे की राशि का हस्तांतरण और कृषि कार्य में लगने वाले उत्पादों तथा उपकरणों पर जीएसटी हटाना शामिल है।

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मेरी राय में, इन उपायों से दूसरी पीढ़ी के कृषि सुधारों के लिए माहौल तैयार होगा। “उन्होंने कहा, “पांच साल तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी और केंद्र की भाजपा सरकार लगातार पंजाब का फंड रोके बैठी थी। चाहे वह पूर्ववर्ती भाजपा-अकाली सरकार से विरासत में मिले कर्ज के पुनर्गठन के लिए हो, या कृषि ऋण माफी के लिए, या मनरेगा का वेतन देने के लिए।”

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