‘मन की बात’ में बोले PM मोदी, “सिर्फ मन बहलाने वाले ही नहीं, मकसद गढ़ने वाले भी होते हैं खिलौने”

मन बहलाने वाले

आरयू वेब टीम। रविवार को देश से 68वीं बार मन की बात कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलौना को लेकर खास फोकस किया। पीएम मोदी ने आज स्वदेशी खिलौने और कंप्यूटर गेम बनाने की अपील करते हुए कहा है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में गेम्स हों, खिलौने का सेक्टर हो, सभी को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

नरेंद्र मोद ने कहा कि खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों। उन्होंने कहा कि खिलौने जहां सक्रियता को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ने वाले भी होते हैं। बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है।’

पीएम ने कोरोनाकाल में बच्चों के घरों में रहने पर कहा, ‘कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लंबें समय तक घरों में रहने की वजह से मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा। हमारे चिंतन का विषय था खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौने प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।’

भारत में खिलौनों की परंपरा के बारे पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं।

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इस दौरान उन्‍होंने जिक्र करते हुए आगे कहा कि जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी –  कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं।’

अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास…

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा।

पीएम ने आगे कहा, ‘अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में सी.वी. राजू हैं। उनके गांव के एति-कोप्पका टॉय एक समय में बहुत प्रचलित थे। इनकी विशेषता ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था। सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका खिलौनों के लिये, अब, अपने गांव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया आंदोलन शुरू कर दिया है। बेहतरीन क्वलालिटी के एति-कोप्पका खिलौने बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है।’

महान व्यक्तित्वों को सामने लाना सच्ची श्रद्धांजलि

वहीं देश के लिए कुर्बान होने वालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री  ने कहा कि जो देश के लिए खप गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लाएंगे तो उनकों सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जब हम पांच सितंबरर को शिक्षक दिवस मना रहे हैं तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूंगा कि वे इसके लिए एक माहौल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएं।

…कौन कितने समय तक जेल में रहा

साथ ही अपने जिले और क्षेत्र में आजादी के आंदोलन के समय क्या हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक जेल में रहा। यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा। इसके लिए बहुत से काम किए जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है।

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वहीं पीएम ने कहा कि हम जब अपनी जीवन की सफलताओं को देखते हैं तो हमें किसी ने किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है। कोरोना काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है। हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे अवसर में बदल भी दिया है।

अगली बार जब आप भी कुत्‍ता पालने की सोचें तो…

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश में लोगों को कुत्‍ता पालने के लिए भी सुझाव देते हुए कहा कि इंडियन ब्रीड्स के कुत्‍ते भी बहुत अच्छे और सक्षम होते हैं। अब हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने भी इंडियन ब्रीड्स के कुत्‍तों को अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं। अगली बार जब आप भी कुत्‍ता पालने की सोचें तो आप भी जरूर इंडियन ब्रीड्स के कुत्‍ते घर लाएं।