आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा और उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने एक फैसले से सभी को चौंका दिया है। पूर्व सीएम ने बसपा के सभी प्रवक्ताओं के पद को समाप्त कर दिया है। मायावती ने कहा है कि बीएसपी द्वारा पार्टी के मीडिया सेल का पुनर्गठन प्रस्तावित है। इस परिस्थिति में नए मीडिया सेल का गठन होने तक अब कोई पार्टी का प्रवक्ता नहीं है।
मायावती ने आज अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से ट्वीट कर कहा कि बीएसपी द्वारा पार्टी के मीडिया सेल का पुनर्गठन प्रस्तावित है। इस परिस्थिति में मीडिया सेल का गठन होने तक अब कोई पार्टी का प्रवक्ता नहीं है। अतः धर्मवीर चौधरी सहित पार्टी के जो भी लोग मीडिया में अगर अपनी बात रखते हैं तो वह उनकी निजी राय होगी, पार्टी का अधिकृत वक्तव्य नहीं।
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बता दें कि हाल ही में बीएसपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी ने माफिया अतीक अहमद के परिवार का बचाव करते हुए सीबीआइ जांच की मांग को लेकर ट्वीट किया था। बीएसपी नेता धर्मवीर चौधरी ने ट्वीट कर लिखा था कि उमेश पाल हत्याकांड में बीएसपी नेता शाइस्ता परवीन सीबीआइ जांच की मांग कर रही तो सरकार को न्याय हित में सीबीआइ जांच करानी चाहिए, जिससे सरकार भाग रही है। बीएसपी नेता के इस बयान को लेकर पार्टी पर कई सवाल खड़े हुए थे।
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बसपा संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन पर मायावती ने कहा था कि देश पहले की तरह ही आज भी जातिवादी सरकार व उन जैसे तत्वों से जकड़ा हुआ है। इसके अभिशाप से छुटकारा तभी मिल सकता है जब इसके सताये हुए लोग वोट डालने के अपने संवैधानिक हक के जरिए राज्य व देश की सत्ता पर काबिज होंगे। इसके लिए ही बसपा की स्थापना की गई है। देश व खासकर उत्तर प्रदेश ने बीजेपी, कांग्रेस व सपा और उनके घोर जातिवादी व आरक्षण विरोधी रवैये के साथ-साथ एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके कानूनी हक व इंसाफ से वंचित रखने के खेल को भी देख लिया है।