आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को जनता को गणतंत्र दिवस की बधाई दी। साथ ही सरकारों से पूछा है कि क्या अपनी और देश की तरक्की के लिए खून-पसीना बहाने वालों को मेहनत का सही इनाम मिल रहा है। उचित न्याय और आरक्षण न मिलना वास्तविक चिंता का विषय है। मायावती ने केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों पर सवाल उठाते हुए सरकारी रोजगार में कमी और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे गरीब बहुजनों का जीवन दयनीय होता जा रहा है।
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बसपा सुप्रीमो ने रविवार को अपने बयान में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के संघर्षों और विचारों के कारण ही हमारा संविधान कल्याणकारी बन सका, लेकिन इसके बावजूद आजादी के इतने सालों बाद भी गरीब, पिछड़े और वंचित वर्ग के लोग न्याय और आरक्षण के अधिकारों से वंचित हैं। मायावती ने ये भी कहा कि आज बड़े उद्योगपतियों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन समाज के गरीब वर्ग को इसका सही लाभ नहीं मिल रहा है।
बढ़ती जा रही पूंजीपतियों व धन्नासेठों की संख्या
आगे कहा कि देश के विकास में हर भारतीय की हिस्सेदारी होना जरूरी है। मुट्ठीभर बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की संख्या बढ़ती जा रही है। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले गरीब व पिछड़े राज्य की सरकार की नीयत व नीति करोड़ों बहुजनों के हितों को बढ़ावा देने वाली हो। इससे लोगों को गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा आदि से त्रस्त जीवन से कुछ राहत मिलेगी।
आरक्षण का हक हो रहा प्रभावित
वहीं बीएसपी प्रमुख ने केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों पर सवाल उठाते हुए सरकारी रोजगार में कमी और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण का हक प्रभावित हो रहा है। मायावती ने यह भी रेखांकित किया कि गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी के कारण बहुजन समाज के लोग परेशान हैं, और उनका जीवन कठिन हो रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि संविधान के कल्याणकारी सिद्धांतों का पालन करते हुए गरीबों और बहुजनों के हक को सुनिश्चित किया जाए और उनके जीवन में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
बहुजनों की अनदेखी करके देश की तरक्की…
यूपी की पूर्व सीएम ने आगे कहा कि सरकारी क्षेत्र में बहुजन समाज के लिए रोजगार के घटते अवसर और उनका बढ़ता बैकलॉग चिंता का विषय है जो देश में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं को बढ़ाता है। इन बहुजनों की अनदेखी करके देश की तरक्की का सुंदर सपना कैसे देखा जा सकता है? वहीं तेज विकास दर के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का असली फायदा यह होना चाहिए था कि करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में ‘अच्छे दिन’ आ जाएं। देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर उन्होंने कहा कि विकास तभी संभव है जब लोगों की जान, माल और धर्म सुरक्षित हो।