आरयू ब्यूरो, लखनऊ। विभिन्न अदालतों में लखनऊ विकास प्राधिकरण के 722 मामले इसलिए अटके हैं कि एलडीए के जिम्मेदार अधिकारी ही इसमें अपनी ओर से शपथ पत्र नहीं दाखिल कर रहें। इनमें अर्जन, संपत्ति व अन्य से जुड़े ढेरों ऐसे मामले भी हैं जिनमें अधिकारियों के ऐफिडेविट दाखिल करने के बाद एलडीए को ही करोड़ों रुपये का फायदा होने की पूरी उम्मीद है। विभाग के प्रति अधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल खड़े करने वाला यह खुलासा सोमवार को विधि अनुभाग की बैठक के दौरान होने पर एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने नाराजगी जाहिर कर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही एक कर्मी को निलंबित करते हुए अफसर व अन्य कर्मियों को गलती सुधारने के लिए सात दिन का समय दिया है।
दरअसल वीसी आज एलडीए में विधि अनुभाग की समीक्षा बैठक कर रहें थे। जहां सामने आया कि गोमती नगर में अर्जन का काम देख रहा सर्वेयर दिलीप कुमार कोर्ट के कई मामले लटकाए है। इससे एलडीए के विपक्षी को कोर्ट में फायदा पहुंच रहा है। उपाध्यक्ष ने मामले की गंभीरता उसके पीछे छिपे खेल को समझते हुए दिलीप को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
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इसके साथ ही इंद्रमणि त्रिपाठी ने ऐफिडेविट नहीं दाखिल होने की वजह से कोर्ट में अटके अकेले अर्जन अनुभाग के 173 मामले की समीक्षा के लिए अर्जन के सभी अमीनों को मीटिंग हॉल में ही तलब कर लिया। जहां अमीनों ने अर्जन के ही अधिकारियों की पोल खोलते हुए वीसी को बताया कि 173 में से कई केस ऐसे हैं जिनकी सही ढ़ग से पैरवी की जाए तो एलडीए को करोड़ों रुपये की जमीन मिल सकती है। अमीनों के खुलासे पर वीसी ने अर्जन के अफसर को फटकार लगाने के साथ ही प्रभारी अर्जन शशिभूषण पाठक को निर्देश दिया कि इन सभी केसों में एक हफ्ते के अंदर शपथ पत्र दाखिल हो जाना चाहिए।
चार PCS की तैनाती के बाद भी अवैध निर्माण के सबसे ज्यादा मामले
कोर्ट से लेकर आवंटी व आम जनता में एलडीए और उसके अधिकारियों की सबसे ज्यादा बदनामी कराने वाले अवैध निर्माण के मामले कोर्ट में शपथ पत्र नहीं देने की वजह से सबसे अधिक लटकाए गए हैं। यह खुलासा भी आज वीसी की बैठक में हुआ। प्रवर्तन में चार पीसीएस अफसरों समेत कुल छह जोनल अधिकारियों व सौ से अधिक इंजीनियर-कर्मियों की फौज तैनात होने के बाद भी 189 मामले कोर्ट में ऐसे लटके हैं जिनमें अधिकारी समय बीतने के बाद भी ऐफिडेविट नहीं दाखिल कर रहें। एलडीए विरोधी इस हरकत के चलते अधिकतर मामलों में अवैध निर्माणकर्ताओं को जहां फायदा पहुंच रहा। वहीं एलडीए का पक्ष भी कोर्ट में कमजोर पड़ रहा है।
तीसरे नंबर पर अभियंत्रण के इंजीनियर
एलडीए अधिकारियों की ओर से कोर्ट में अटकाए गए कुल 722 मामले में तीसरे नंबर पर अभियंत्रण अनुभाग रहा। प्रवर्तन 189 व अर्जन 173 मामलों के बाद अधियंत्रण अनुभाग से जुड़े ठेकेदारों व अन्य से संबंधित कुल 117 केस में विभिन्न कोर्ट शपथ पत्र नहीं दाखिल करने की वजह से फैसला नहीं सुना पा रहें।
चौथे पर संपत्ति के अधिकारी
वहीं कोर्ट में एलडीए का पक्ष कमजोर करने वालों में चौथे नंबर पर संपत्ति के अधिकारी व कर्मी हैं। सिर्फ ऐफिडेविट नहीं देने की वजह से संपत्ति के 91 मामले में कोर्ट आगे की कार्रवाई नहीं कर पा रहा, इनमें भी कई ऐसे मामले है जिसमें अधिकारियों के कोर्ट में शपथ पत्र लगाने पर एलडीए के पक्ष में न सिर्फ फैसला आएगा, बल्कि विभाग को करोड़ों की संपत्ति मिलने का भी अनुमान है।
अदालतें तलब कर लगाती हैं फटकार
इसके साथ ही एलडीए के अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़े अधिष्ठान, नियोजन, नजूल, ट्रस्ट, नक्शा व वित्त समेत अन्य अनुभागों के भी कई केस कोर्ट में सिर्फ शपथ पत्र दाखिल नहीं करने की वजह से लटके हैं। इनमें से कई में महीनों से अधिकारी विभन्न अदालतों के मांगने के बाद भी शपथ पत्र नहीं लगा रहें और न ही जवाब दे रहें। बताते चलें कि ऐसी परिस्थितियों में ही हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार एलडीए के बड़े अधिकारियों को तलब कर फटकार लगाता रहा है।
नहीं सुधरे तो वेतन की जगह मिलेगी प्रतिकूल प्रवृष्टि
वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने आज लापरवाही या भ्रष्टाचार के चलते एलडीए विरोधी हरकतों में लिप्त अधिकारी व कर्मियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगले हफ्ते कोर्ट में लटके इन सभी मामलों की फिर से समीक्षा की जाएगी। सात दिन में अगर हालात नहीं सुधरे और किसी भी तरह की लापरवाही मिली तो संबंधित अधिकारी-कर्मियों का न सिर्फ वेतन रोक दिया जाएगा, बल्कि प्रतिकूल प्रवृष्टि भी दी जाएगी। वीसी की वार्निंग से अपने ही विभाग को खोखला करने वाले अफसर-कर्मियों में हड़कंप की स्थिति है।
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बैठक में अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा, मुख्य विधि परामर्शदाता संजय कुमार शुक्ला, वित्त नियंत्रक दीपक सिंह, नजूल अधिकारी अरविंद त्रिपाठी, विशेष कार्याधिकारी प्रिया सिंह, रामशंकर, डीके सिंह, राजीव कुमार, देवांश त्रिवेदी, श्रद्धा चौधरी, एसडीएम शशिभूषण पाठक, नगर नियोजक केके गौतम, अधिशासी अभियंता मनोज सागर, केके बंसला, संजीव कुमार गुप्ता व नवनीत शर्मा समेत अन्य अफसर व कर्मी मौजूद रहें।