आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राफेल डील मामले में केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उन प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने याचिका के साथ लगाए दस्तावेजों पर विशेषाधिकार बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल मामले में रक्षा मंत्रालय से फोटोकॉपी किए गोपनीय दस्तावेजों का परीक्षण करेगा।
केंद्र ने कहा था कि गोपनीय दस्तावेजों की फोटोकॉपी या चोरी के कॉपी पर कोर्ट भरोसा नहीं कर सकता। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सहमति से सुनाया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि दस्तावेज याचिका के साथ दिए गए हैं, वो गलत तरीके से रक्षा मंत्रालय से लिए गए हैं, इन दस्तावेजों पर कोर्ट भरोसा नहीं कर सकता।
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ये याचिका भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने दायर की है। इससे पूर्व कोर्ट ने राफेल पर केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे दी थी और कहा था कि इसकी खरीद में जांच करने का आदेश देने का कोई आधार नहीं है। इस फैसले के खिलाफ की समीक्षा याचिका दायर की गई थी।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता का कहना था कि किसी धांधली व भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कोई कागज किसी भी तरीके से हासिल कर उसे कोर्ट के सामने रखा जाता है तो भ्रष्टाचार साबित करने की मांग को देखते हुए अदालत को उनपर भी गौर करना चाहिए। साथ ही याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी विभाग में धांधली पकड़वाने के लिए गोपनीय तरीके से सबूत देने वाले विहसल ब्लोवर की पहचान और सबूत जुटाने का तरीका कानून में पूछने का अधिकार किसी के पास नहीं है।
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बता दें कि सरकार ने दावा किया था कि 14 दिसंबर, 2018 के कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दिए गए दस्तावेजों पर उसका विशेषाधिकार है। सरकार ने कहा था कि याचिका की सुनवाई के लिए इन दस्तावेजों पर कोर्ट संज्ञान ना ले। पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा, पत्रकार से नेता बने अरुण शौरी और सामाजिक कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण की तरफ से दायर याचिका को खारिज करने की सरकार ने मांग की थी।
साथ ही केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि तीनों याचिकाकर्ताओं ने अपनी समीक्षा याचिका में जिन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, उनपर उसका विशेषाधिकार है और उन दस्तावेजों को याचिका से हटा देना चाहिए। सरकार का यह भी कहना है कि मूल दस्तावेजों की फोटोकॉपी अनधिकृत रूप से तैयार की गईं और इसकी जांच की जा रही है।