आरयू वेब टीम।
रमजान के मौके पर इफ्तार के बाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने यह तय किया है कि इस बार नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में ईद मनायी जाएगी। सियासी जानकारों का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले आरएसएस मुस्लिमों को अपने पाले में करने के लिए लगातार इस तरह के प्रयास कर रही है।
अब लोकसभा चुनावों में एक साल से भी कम समय बचा है ऐसे में संघ ने यह तय किया है कि इस बार नागपुर स्थित मुख्यालय में ईद मनायी जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार संघ के आनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से इसका आयोजन किया जाएगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि संघ मुख्यालय में इस तरह का कोई आयोजन किया जाएगा।
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संघ का यह निर्णय सबको चौंकाने वाला है, क्योंकि वह यही कहता रहा है कि वह किसी भी संप्रदाय का तुष्टिकरण नहीं करता। तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए एक बार मुस्लिम की ओर से दी गयी टोपी लेने से इंकार कर दिया था, वह आजकल विदेश यात्राओं के समय मस्जिदों का दौरा भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हाल की विदेश यात्रा के दौरान इंडोनेशिया और सिंगापुर में मस्जिदों का दौरा किया था।
वहीं इस फैसले पर संघ पर हमला करते हुए समाजवादी पार्टी नेता अबू आसिम आजमी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के लिए ईंटें भेजने वाले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की इफ्तार पार्टी एक ढोंग के सिवा कुछ नहीं। इस तरह के आयोजन की निंदा और बहिष्कार किया जाना जरूरी है। देश का मुस्लिम वर्ग आरएसएस के हिंदुत्वादी एजेंडे की वजह से काफी नाराज रहा है। यही वजह है की आजतक मुस्लिम संघ से दूर रहे हैं।