श्रद्धांजलि अर्पित कर महेंद्र पाण्‍डेय ने कहा समाज को समाज को स‍मर्पित था संकटा प्रसाद का जीवन, अखिलेश पर भी बोला हमला

संकटा प्रसाद सिंह
संकटा प्रसाद सिंह के चित्र पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने आज वरिष्ठ प्रचारक तथा किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संकटा प्रसाद सिंह के निधन पर संघ कार्यालय केशव भवन जाकर उन्‍हें श्रद्धाजंलि दी।

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इस दौरान प्रदेश अध्‍यक्ष ने संकटा प्रसाद सिंह को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित भारत माता का सपूत बताते हुए कहा कि संकटा प्रसाद मूल रूप से गाजीपुर जनपद के निवासी थे। उन्‍होंने 1942 में इण्टर मीडिएट की शिक्षा के दौरान ही गुरू जी से मिलने के बाद अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से राष्ट्र सेवा में लगा दिया। इसके अलावा वो किसानों की समस्याओं के निदान तथा किसानों की खुशहाली के लिए भी हमेशा काम करते रहे। महेंद्र पाण्‍डेय ने आगे कहा कि इस तरह से संकटा प्रसाद का पूरा जीवन न सिर्फ ऋषि तुल्य रहा वहीं राष्ट्र व समाज को समर्पित भी था।

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वहीं दूसरी ओर महेंद्र पाण्‍डेय ने सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान पर कड़ा एतराज जताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा धर्म की अफीम साथ लेकर चलती है। प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव को अगर जरा भी धर्म के मायने पता होता तो वह अपने मुख्यमंत्रित्व काल में राजधर्म का पालन अवश्य करते। तथा जनता कुशासन से त्रस्त न रहती, अपराधियों का संरक्षण न होता, प्रदेश भर में अवैध कब्जे न होते, किसान आत्महत्या न करता, गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास प्राप्त हुए होते और प्रदेश की जनता खुशहाल होती।

अखिलेश के बयान पर उठाएं सवाल

उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म पाल न करने वाले लोग अगर बीजेपी की पवित्र राजनीति को धर्म की अफीम साथ लेकर चलने की बात करते हैं तो ऐसे लोगो का जनता मखौल उड़ाती है। प्रदेश अध्‍यक्ष सवाल उठाते हुए कहा कि मैं अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं कि उनका क्या धर्म है? क्या सरकार में रहते मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करना, पिता को अपमानित करना, उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ जनता को जिसने उन्हें सत्ता पर बिठाया उसे दिग्भ्रमित करना, अपराधियों को संरक्षण देना, अवैध खनन करने वालों को बगल में बैठाना ही राजनीति है? अखिलेश यादव को जवाब देना चाहिए कि क्या स्वच्छ राजनिति करने के यही मानक हैं।

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