आरयू वेब टीम।
मोदी सरकार ने आज तीन साल पूरे कर लिए। इस अवसर पर पीएम ने देश के सबसे लंबे पुल धौला-सादिया का उद्घाटन कर कहा कि यह पुल महापुरुष भूपेन हजारिका के नाम से पहचाना जाएगा। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर देश में अटल जी की सरकार होती तो ये तोहफा देश को 10 साल पहले ही मिल गया होता। उन्होंने अपने तीन साल के विकास को अटल जी को समर्पित किए।
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प्रधानमंत्री ने तिनसुकिया के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 5 दशकों से यहां के लोग इस पुल का इंतजार कर रहे थे। इस पुल के शुरू हो जाने के बाद से कम-कम से कम पांच से छह घंटों की बचत होगी और यहां आर्थिक क्रांति आएगी। साथ ही विकास के रास्ते खुलेंगे। दस लाख रुपये के डीजल-पेट्रोल की बचत होगी।
अगर अटल बिहारी वाजपेयी का सरकार दोबारा जीतकर आई होती तो यह ब्रिज आपको 10 साल पहले मिल गया होता। यह बात निश्चित है कि अगर विकास को स्थायी रूप देना हो, स्थायी रूप से विकास को गति देनी है तो मूलभूत ढांचा पहली शर्त है।
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नरेंद्र मोदी ने चीनी सीमा के नजदीक ब्रह्मपुत्र नदी पर बने धौला-सादिया पुल को देश को समर्पित किया। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पुल पर सफर कर इसका जायजा लिया। असम से अरुणाचल को जोड़ने वाला यह पुल 9.15 किलोमीटर लंबा है।
गुवाहाटी हवाई अड्डे पर पीएम का स्वागत करने पहुंचे असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल ने पीएम मोदी को गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर पैदल चलना शुरु कर दिया। वहीं पीएम के स्वागत के कुछ अन्य बड़े मंत्री व नेता वहां मौजूद रहे।
जाने इस पुल की क्या है खासियत
1-ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित पर बना देश का सबसे लंबा पुल है जा असम के ढोला को अरुणाचल प्रदेश के सादिया से जोड़ता है।
2- इसकी कुल लंबाई 28.50 किलोमीटर जो तीन लेन, 9.15 किलोमीटर लंबा है।
3- इस पुल से होकर सेना के टैंक भी गुजर सकेंगे, जिससे सैनिकों को चीन सीमा तक भेजने में आसानी होगी।
4- पुल के सभी 182 पायों में सीस्मिक बफर लगे हैं, जिससे रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता तक के भूकंप से भी पुल को कोई नुकसान न हो।
5- इस पुल का निर्माण वर्ष 2011 में शुरु हुआ, निर्माण पर 950 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
6- पुल के बन जाने से हर दिन कम से कम 10 लाख रुपये का पेट्रोल की बचत होगी।
7- धौला-सादिया पुल सेल के इस्पात से बना है।
पुल से लोगों की मुश्किलें होंगी खत्म
अब तक असम से अरुणाचल जाने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता था। लोग सिर्फ दिन में नदी पार कर पाते थे। बाढ़ आने की स्थिति में दिन में भी नदी पार करना मुश्किल और जोखिम भरा होता था। इसके साथ ही पुल बनने से असम में एनएच-37 पर स्थित रुपाई और अरुणाचल में एनएच-52 पर स्थित मेका-रोइंग के बीच की दूरी 165 किलोमीटर घट गयी है। अब रुपाई और मेका की दूरी छह घंटे की जगह केवल एक घंटे में तय की जा सकेगी।
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इसके साथ ही इस परियोजना के पूरा होने से ऊपरी असम के ब्रह्मपुत्र के उत्तरी क्षेत्रों अरुणाचल प्रदेश में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी, आधारभूत संरचनाएं मजबूत होंगी। साथ ही सेना की क्षमता में भी वृद्धि होगी, पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत सामरिक दृष्टिकोण से मजबूत होगा।