आरयू वेब टीम। राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को लेकर सियासत गरमा गई है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली सरकार पर “मध्यम वर्गीय परिवारों को लूटने” के साथ ही शिक्षा माफिया से गठजोड़ का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि प्रदर्शनकारी अभिभावकों की आवाज सुनने की बजाय सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
‘आप’ के नेता सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता में कहा कि एक अप्रैल 2025 से दिल्ली के अधिकांश निजी स्कूलों ने मनमाने ढंग से फीस बढ़ा दी है, जिससे अभिभावकों में भारी रोष है। प्रदर्शनकारी अभिभावकों की आवाज सुनने की बजाय सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लगाया गया था, लेकिन अब भाजपा के शासन में शिक्षा माफिया को खुली छूट दे दी गई है।
इस दौरान आप नेता ने दावा किया कि फीस बढ़ाने की मांग को लेकर “एक्शन कमेटी ऑफ यूनाइटेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स” नामक संस्था ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस संस्था के अध्यक्ष भरत अरोड़ा भाजपा की दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं और पार्टी के शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रमुख भी हैं। यही नहीं, चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के लिए भी प्रचार किया था। ‘आप’ प्रवक्ता अनुराग ढांडा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और निजी स्कूलों के बीच सीधा गठजोड़ है।
उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति सीएम रेखा गुप्ता का प्रचार करता है, वही अब फीस बढ़ाने वाली संस्था का अध्यक्ष है। इससे साफ है कि सरकार ने निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की खुली छूट दे दी है।” आम आदमी पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूलों के ऑडिट की जिम्मेदारी कैग या किसी योग्य ऑडिटर को देने की बजाय बीजेपी सरकार ने इसे एसडीएम के हवाले कर दिया। ‘आप’ नेताओं का कहना है कि यह केवल दिखावे की कार्रवाई है, जिसे अदालत में चुनौती देकर निजी स्कूल फिर से मनमानी करेंगे।
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‘आप’ ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मांग की है कि वह तुरंत फीस वृद्धि को रद्द करने का आदेश जारी करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह साबित हो जाएगा कि वह भी इस ‘शिक्षा माफिया’ गठजोड़ में शामिल हैं। दिल्ली में मध्यम वर्ग पर बढ़ते बोझ और निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अब जनता सड़कों पर है। ‘आप’ ने इसे लोकतंत्र और शिक्षा के अधिकार पर हमला करार दिया है।