आरयू वेब टीम। भारत आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के कार्यालय पहुंचे। एनएसए अजित डोभाल ने कहा कि लद्दाख के बाकी इलाकों से भी सेना तुरंत हटाई जाए, इसके बगैर द्विपक्षीय रिश्ते सामान्य नहीं हो सकेंगे। सीमा पर शांति बहाली से ही परस्पर विश्वास बढ़ेगा। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध और यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा हुई।
वार्ता से जुड़े सूत्रों ने मीडिया को बताया कि डोभाल ने यी से कहा कि कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर सकारात्मक बातचीत रिश्तों को सामान्य बनाने की पूर्व शर्त है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी कार्रवाई से दोनों देशों की सुरक्षा का हनन नहीं हो। इस दिशा में प्रयास करना होंगे। साथ ही जितनी जल्दी हो बकाया मसलों को हल किया जाना चाहिए। साथ ही चीनी पक्ष ने एनएसए डोभाल को चीन यात्रा को न्योता दिया तो उन्होंने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि वह चीन यात्रा कर सकते हैं बशर्ते तात्कालिक मुद्दों को सफलातपूर्वक सुलझा लिया जाए।
पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब दो साल से गतिरोध के कारण व्याप्त तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी उच्च स्तरीय यात्रा पर बृहस्पतिवार की शाम भारत आए। चीन के विदेश मंत्री सुबह करीब दस बजे डोभाल के कार्यालय पहुंचे। डोभाल के बाद वांग अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
समझा जाता है कि वांग और डोभाल के बीच बैठक में सीमा मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई।वांग और डोभाल दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। डोभाल और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने को लेकर जुलाई 2020 में फोन पर लंबी बातचीत की थी।
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गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद के बाद, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को हिंसक संघर्ष से तनाव बढ़ गया था। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी तैनाती बढ़ाई है। वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों ओर में से प्रत्येक हिस्से में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।